देवोलीना भट्टाचार्जी ने बेटे को गाली देने वालों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, गोपी बहू हुईं भड़की।

टेलीविजन की प्रसिद्ध एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्जी ने हाल ही में जन्माष्टमी के अवसर पर अपने बेटे की एक भावनात्मक तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में उनके बेटे ने पीले रंग का कुर्ता-पायजामा पहना हुआ था। जहां उनके फैन्स ने इस पोस्ट पर प्यार और समर्थन दिया, वहीं एक दुर्भाग्यवश एक यूजर ने उनके बच्चे पर नस्लभेदी टिप्पणी की।
इस पर देवोलीना ने चुप रहने का निर्णय नहीं लिया। उन्होंने ट्रोल के अकाउंट का स्क्रीनशॉट शेयर किया और उसकी पहचान को उजागर किया। अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में उन्होंने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए लिखा, “यह एक क्लासिक उदाहरण है कि बच्चे बड़े होकर क्यों ऐसे बनते हैं… वे घर पर जो सीखते हैं, वही बड़े होने पर करते हैं। दिन-रात राम नाम जापने से कोई धार्मिक नहीं बन जाता… रावण भी शिव भक्त था।”
देवोलीना ने आगे कहा, “ये लोग खुद को भगवान के भक्त और कट्टर सनातनी बताते हैं, लेकिन उनकी हरकतें कुछ और ही कहती हैं। क्या आपको अपने बच्चे के रंग से इतनी समस्या है? अगर भारत में रहना मुश्किल है, तो आपको ब्रिटेन में पैदा होना चाहिए था।”
देवोलीना के इस रिएक्शन को उनके फैंस का पूरा समर्थन मिला। कई फॉलोअर्स ने उनके इस कदम की प्रशंसा की और ऑनलाइन नफरत के खिलाफ खड़े होने के लिए उन्हें सराहा। लोगों ने कहा कि बच्चों पर इस तरह की टिप्पणियाँ सही नहीं हैं और यह समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
पिछले साल की शुरुआत में, देवोलीना और उनके पति शहनवाज ने अपने बेटे जॉय का स्वागत किया। तब से, उन्होंने अपने मातृत्व के सफर की कई खूबसूरत झलकियाँ साझा की हैं और अक्सर अपने बेटे के साथ तस्वीरें पोस्ट करती हैं। उनका यह मातृत्व अनुभव न केवल व्यक्तिगत रूप से उन्हें संतोष देता है, बल्कि वह इसे अपने फॉलोवर्स के साथ भी साझा करती हैं, जो उनके लिए बहुत खास है।
देवोलीना भट्टाचार्जी ने इस मुद्दे पर अपनी सख्त प्रतिक्रिया देकर न सिर्फ अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, बल्कि यह भी प्रमाणित किया कि वे पहले की तुलना में अधिक मजबूत और आत्मविश्वासी हैं। उनके इस कदम ने यह दिखा दिया कि वे किसी भी तरह की नफरत को बर्दाश्त नहीं करेंगी और अपने बच्चे की रक्षा के लिए हमेशा खड़ी रहेंगी।
एक्ट्रेस ने स्पष्ट किया कि हर बच्चे की खासियत होती है और उन्हें उनके रंग या रूप के आधार पर नहीं आंकना चाहिए। सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणियाँ न केवल गलत हैं, बल्कि ये स्पष्ट रूप से मानवता के खिलाफ भी हैं।
बच्चों के प्रति इस तरह की नकारात्मकता समाज में गहरी जड़ें जमाती जा रही है, और इस पर खुलकर बात करने की आवश्यकता है। देवोलीना का यह कदम बस एक शुरुआत है, जिसे और भी लोगों को अपनाना चाहिए, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।
उनकी यह कहानी सभी माता-पिता और समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। हमें अपने बच्चों को सकारात्मकता का पाठ पढ़ाना चाहिए और उन्हें सिखाना चाहिए कि वे संसार में जो पाते हैं, वह उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है, न कि उनके रंग या रूप का।
देवोलीना के इस अनुभव से यह संदेश निकलता है कि हमें सावधान रहना चाहिए कि हम अपने शब्दों और कार्यों से किस तरह का प्रभाव डालते हैं। यदि समाज में असमानता और भेदभाव को समाप्त करना है, तो यह आवश्यक है कि हम अपने विचारों को बदलें और सभी जातियों और रंगों का सम्मान करें।
ट्रोलिंग की इस दुनिया में, देवोलीना की हिम्मत और स्पष्टता ने यह दर्शाया कि हम सभी को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए और किसी भी तरह की भेदभाव को सहन नहीं करना चाहिए। उनके इस कदम ने न सिर्फ एक्ट्रेस की बल्कि सभी माता-पिता की जिम्मेदारी को सामने लाया है कि वे अपने बच्चों को एक सकारात्मक समाज में लाने के लिए किस तरह के मूल्य सिखाएं।
सभी को यह समझना चाहिए कि हर बच्चा अनोखा होता है और उनको प्यार और सम्मान की आवश्यकता होती है। देवोलीना भट्टाचार्जी ने यह साबित कर दिया कि जब भी कोई उनके बच्चे या परिवार पर आंच लाए, वह उनके खिलाफ खड़े होने से पीछे नहीं हटेंगी।
आम तौर पर हमें यह समझना चाहिए कि किसी की पहचान उसके रंग या रूप से नहीं बल्कि उसके विचारों और व्यक्तित्व से होती है। समाज में हर प्रकार के रंग और रूप का सम्मान होना चाहिए।
इस स्थिति की गंभीरता को समझना जरूरी है ताकि भविष्य में बच्चों को इस तरह की भेदभाव का सामना ना करना पड़े। इससे न केवल बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है, बल्कि यह समाज की तुलना में इसकी पूरी संरचना को भी प्रभावित कर सकता है।
हमें एक ऐसे समाज की आवश्यकता है जहां सभी के लिए समानता हो और हर बच्चा बिना किसी डर के बड़े हो सके। देवोलीना भट्टाचार्जी ने इस संघर्ष के माध्यम से एक अच्छी मिसाल पेश की है, और हमें प्रेरणा दी है कि हम अपने बच्चों की रक्षा करें और उन्हें सिखाएं कि वे किसी भी स्थिति में सच्चाई के साथ खड़े रहें।
यदि हम इस तरह का बदलाव लाना चाहते हैं, तो हमें आज से ही अपने विचार और दृष्टिकोण को बदलना होगा। यही समय है कि हम सकारात्मकता के लिए एकजुट हों और सभी प्रकार की नफरत और भेदभाव के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करें। यही हमारे समाज को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा।
देवोलीना के इस कदम ने यह साबित कर दिया है कि एक आवाज भी काफी हो सकती है, जब वह सही दिशा में हो। हमें इस आवाज को और भी बढ़ाना है ताकि हम सभी को सकारात्मकता का अनुभव हो सके।