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उम्मीदवारों ने रामलीला मैदान में एसएससी परीक्षा में अनियमितताओं पर चर्चा की, दिल्ली पुलिस ने कई को हिरासत में लिया।

दिल्ली में उम्मीदवारों का प्रदर्शन: एसएससी परीक्षा में गड़बड़ी के खिलाफ विरोध

24 अगस्त की शाम को, रामलीला मैदान में हजारों उम्मीदवार एकत्र हुए, जहां उन्होंने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) परीक्षाओं में हुई कथित गड़बड़ियों के विरोध में धरना दिया। इन उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें अवैध रूप से हटाने की कोशिश की। देर रात, पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

धरने का उद्देश्य और पुलिस की कार्रवाई

मरहलेवार, उम्मीदवारों का धरना सरकार की परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता की कमी के खिलाफ एक प्रगाढ़ विरोध था। एसएससी द्वारा आयोजित परीक्षा, जो कंप्यूटर आधारित परीक्षा के माध्यम से होती है, में कई तकनीकी खराबियों और प्रशासकीय गड़बड़ियों के बारे में कई शिकायतें आई हैं। उम्मीदवारों का कहना है कि परीक्षा केंद्रों की स्थिति काफी खराब थी, जिससे उनकी परीक्षा की तैयारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

धरने के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्हें और विशेषकर छात्राओं को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। कुछ छात्रों ने दावा किया कि नागरिक वर्दी में आए कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें संघर्ष करने की धमकी दी। इसके बावजूद कि उन्हें प्रदर्शन जारी रखने की अनुमति दी गई थी, पुलिस ने हेल्थ सुविधा के मामले में हल्के बल का प्रयोग किया।

प्रदर्शनकारियों का बयान

समाचार रिपोर्टों के अनुसार, शाम करीब पांच बजे, जब पुलिस ने प्रदर्शन स्थल की शक्ति कम की, तो एक छात्र ने बताया कि उन्होंने पुलिसकर्मियों को अनुमति पत्र दिखाने के बावजूद हटने का आदेश दिया। इस बीच, कुछ प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं और स्थिति और अधिक जटिल हो गई।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम यहां अपनी आवाज उठाने के लिए आए हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी मेहनत का सही मूल्यांकन हो, हमें सुना जाना चाहिए।”

पुलिस का विरोधाभासी बयान

दिल्ली पुलिस ने हालांकि प्रदर्शनकारियों के आरोपों का खंडन किया। उनके एक अधिकारी ने जानकारी दी कि रामलीला मैदान में लगभग 1500 प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे। उनमें से केवल 100 लोगों ने समय के बाद प्रदर्शन स्थल छोड़ने से मना किया, जिनमें से 44 को हिरासत में लिया गया।

पुलिस का यह तर्क यह बताने के लिए था कि वे किसी भी प्रकार की गलतफहमी का शिकार नहीं हुए थे और प्रदर्शन को नियंत्रित करना उनकी जिम्मेदारी थी।

उम्मीदवारों की मांगें

उम्मीदवारों द्वारा की जा रही मांगों में परीक्षण प्रक्रिया में सुधार, पारदर्शिता और शिकायतों के त्वरित निपटान की जरूरी बातें शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि परीक्षा में हुई गड़बड़ियों ने उनके भविष्य को खतरे में डाल दिया है, जो वर्षों से सरकारी नौकरी पाने की तैयारी कर रहे हैं।

रविवार को धरने का आयोजन करने वाले छात्रों ने एक स्वर में यह कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे अपने अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।

प्रदर्शन का व्यापक असर

इस विरोध ने एक बार फिर से भारत में भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया है। कई छात्र अपनी कठिनाइयों को साझा करते हुए कहते हैं कि उन्हें वर्षों तक तैयारी करने के बावजूद इन परीक्षाओं में जैसे ही गड़बड़ियों का सामना करना पड़ा, उनका आत्मविश्वास टुट गया।

एक छात्र ने कहा, “हम चाहेंगे कि हमारी समस्याओं पर ध्यान दिया जाए तथा परीक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।”

निष्कर्ष

रामलीला मैदान में हो रहे इस विरोध ने एक गंभीर मुद्दे पर चर्चा शुरू कर दी है, जिसे सालों से अनदेखा किया जा रहा था। योग्य उम्मीदवारों की मेहनत को सराहना और उनके भविष्य को सुरक्षित करना जरूरी है। सरकारी नौकरी पाने के लिए लड़ाई लड़ रहे युवा अब इस मामले में सरकार से उचित कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

बिना किसी उथल-पुथल के अपनी आवाज उठाने का यह तरीका निश्चित रूप से उन सभी छात्रों के लिए एक उदाहरण बन सकता है, जो अपनी नौकरी की तलाश में हैं। इससे यह भी साबित होता है कि जब युवाओं की मेहनत पर सवाल उठता है, तो वे अपने अधिकारों के लिए खड़े होने के लिए तैयार हैं।

इस प्रकार, यह मामला केवल एक परीक्षा का नहीं है, बल्कि एक व्यापक दृष्टिकोण का भी है, जहां शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। उम्मीद की जाती है कि सरकार जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी और इन छात्रों की आवाज सुनी जाएगी।

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