इजरायली सेना के बुलडोजर से वेस्ट बैंक में सैकड़ों जैतून के पेड़ नष्ट, फिलिस्तीनी पहचान पर हमले का कारण जानें – अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समाचार

इजरायली सेना वेस्ट बैंक में जैतून के पेड़ों को उखाड़ रही है
वेस्ट बैंक के अल-मुगायिर गांव में इजरायली सेना की उपस्थिति में जैतून के वृक्षों का उखाड़ा जाना एक महत्वपूर्ण घटना है। यहां बुलडोजरों के माध्यम से सैकड़ों जैतून के पेड़ नष्ट किए गए हैं। यह न केवल एक कृषि घटना है बल्कि यह क्षेत्र की आर्थिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक बड़ा धक्का है।
पूरा मामला क्या है?
बुलडोजरों के माध्यम से उखाड़े गए अधिकांश पेड़ वेस्ट बैंक की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये पेड़ स्थानीय किसानों के लिए केवल कृषि उपज का स्रोत नहीं हैं, बल्कि इनका संबंध उनके पारिवारिक इतिहास और भूमि से भी है। अल-मुगायिर गांव के किसान, 70 वर्षीय अब्देलिफ़ मोहम्मद अबू आलिया का कहना है कि उनके एक हेक्टेयर में फैले जैतून के पेड़ ‘झूठे बहाने’ के तहत उखाड़ दिए गए हैं। स्थानीय लोग पेड़ों को दोबारा लगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह विचार भी असंभव सा लग रहा है। एएफपी के फोटोग्राफरों ने अल-मुगायिर में गिरते हुए जैतून के पेड़ और बुलडोजर के दृश्य को कैद किया है, जिसमें एक इजरायली झंडा भी दिखाई दे रहा है।
जैतून का सांस्कृतिक महत्व
फिलिस्तीन के इतिहास और संस्कृति में जैतून के पेड़ों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये पेड़ लचीलेपन और प्रतिरोध का प्रतीक हैं। जैतून की खेती हजारों परिवारों के लिए आजीविका का आधार है। वार्षिक फसल का समय स्थानीय किसानों के लिए एक विशेष समय होता है, लेकिन यह समय इजरायल के प्रतिबंधों और अन्य चुनौतियों के कारण संघर्ष का भी समय है।
जैतून की उपज केवल कृषि उत्पाद नहीं है, बल्कि यह फिलिस्तीनी मानसिकता का भी एक हिस्सा है। जब भूमि पर हमले होते हैं, तो ये पेड़ सिर्फ नष्ट नहीं होते; वे स्थायी पहचान और सम्पर्क को भी खो देते हैं। इसलिए, जब इजरायली सेना बुलडोजर लेकर आती है, तो यह केवल एक शारीरिक विनाश नहीं होता, बल्कि यह एक सांस्कृतिक विध्वंस भी है।
इजरायल का उद्देश्य
अल-मुगायिर के स्थानीय कृषि संघ के नेता ग़ासन अबू आलिया का कहना है कि इजरायल का उद्देश्य इस क्षेत्र को बदलकर फिलिस्तीनियों को वहाँ से भागने के लिए मजबूर करना है। उन्होंने टिप्पणी की कि यह केवल एक शुरुआत है और यह पूरे वेस्ट बैंक में फैल सकता है। बुलडोजर के काम की शुरुआत एक स्तर पर एक बड़े नीति को दर्शाती है जिसमें किसानों को उनके मूल से बेदखल किया जाना है।
इजरायली सेना की गतिविधियों में रहस्य है। उनके अनुसार, वे मामला की जाँच कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि ये केवल एक बहाना है। इससे पहले की घटनाओं में, सेना ने एक व्यक्ति को ‘आतंकी हमले’ के आरोप में गिरफ्तार किया। इस बीच, 16 अगस्त को इजरायली सेना ने उसी गांव में एक 18 वर्षीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना से स्थानीय लोगों के मन में ज्यादा भय और चिंता उत्पन्न हुई है।
हिंसा का बढ़ता चरण
गाजा में 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमले के बाद वेस्ट बैंक में हिंसा बढ़ी है। एएफपी के आंकड़ों के अनुसार, तब से 971 फिलिस्तीनी इजरायली सैनिकों या निवासियों द्वारा मारे गए हैं, जबकि 36 इजरायली नागरिक भी मारे गए हैं। 1967 के बाद से, वेस्ट बैंक में लगभग 3 मिलियन फिलिस्तीनी और 5 लाख इजरायली नागरिक मौजूद हैं, जिनकी बस्तियाँ अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार अवैध मानी जाती हैं।
इस प्रकार के गतिशीलता और संघर्ष का पर्यावरण न केवल वर्तमान पीढ़ी को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। स्थानीय लोग जो अब तक अपनी खेती और पारंपरिक तरीके से जीवन यापन कर रहे थे, उन्हें अब अपने जीवन और आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
निष्कर्ष
वेस्ट बैंक के अल-मुगायिर गांव में जैतून के पेड़ों का उखड़ा जाना केवल एक क्षेत्रीय संकट नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी वैश्विक समस्या का हिस्सा है। यह घटना उन तनावों और संघर्षों का प्रतीक है जो लंबे समय से इस क्षेत्र में जारी हैं। जैतून के पेड़ों का नष्ट होना एक सांस्कृतिक, आर्थिक और मानसिक धारणाओं पर भी गहरा प्रभाव डालता है। यह एक उभरता हुआ संकट है जो न केवल फिलिस्तीनी समुदाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
फिलिस्तीनियों की पहचान उनके जैतून के पेड़ों से है, और जब ये पेड़ उखड़े जाते हैं, तो उनकी पहचान भी मिट जाती है। इस प्रकार, यह केवल एक कृषि संकट नहीं है, बल्कि यह एक मानवता के खिलाफ अपराध भी है। इस स्थिति में सुधार की आवश्यकता है, ताकि भूख और गरीबी की चादर को मिटाकर शांति और स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।