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चीन की प्रतिक्रिया: भारत के नए एयर डिफेंस सिस्टम परीक्षण और लेजर हथियारों पर सवाल उठाए गए

भारत की नई वायु रक्षा प्रणाली: चीन के लिए चुनौती

भारत ने हाल ही में वायु रक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए अपने पहले एकीकृत वायु रक्षा वजन प्रणाली (IADWS) का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण ने देश की तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित किया है, खासकर जब बात आती है एंटी-एक्सेस/एरिया डेनियल (A2/AD) प्रौद्योगिकियों की। ये प्रौद्योगिकियां चीन के लिए एक गंभीर चुनौती हैं, जो दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में अपनी सैन्य शक्ति को बनाए रखने के लिए इन्हें लागू कर रहा है।

भारत की वायु रक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ

परीक्षण के दौरान, भारत ने साथ में तीन लक्ष्यों को इंगित करने की सक्षमता का प्रदर्शन किया। इसमें दो उच्च गति वाले अविवाहित हवाई वाहन और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन शामिल थे। इन लक्ष्यों को विभिन्न प्रणालियों जैसे क्विक रिस्पांस सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM), वी-शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS), और लेजर-आधारित डायरेक्ट एनर्जी हथियारों के माध्यम से लक्षित किया गया।

इस परीक्षण ने भारत को उन देशों की सूची में ला खड़ा किया है, जिन्हें लेजर आधारित रक्षा प्रणाली का उपयोग करने का अनुभव है, जैसे कि अमेरिका और चीन। भारत के लिए ये एक महत्वपूर्ण क्षण है, और प्रधानमंत्री ने पहले ही कहा था कि वह अगले दस वर्षों में एक आत्मनिर्भर और विश्वस्तरीय सुरक्षा संरचना बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

चीन की प्रतिक्रिया

हालांकि, इस विकास के बाद चीन की प्रतिक्रिया अपेक्षित थी। चीनी मीडिया ने विशेषज्ञों को उद्धृत करते हुए कहा कि भारत की नई तकनीक की परिचालन प्रभावशीलता अभी साबित नहीं हुई है। ग्लोबल टाइम्स के विशेषज्ञ ने स्पष्ट किया कि जब भी कोई नई तकनीक पेश की जाती है, तब उसके वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में परीक्षण करने की आवश्यकता होती है।

वे यह भी कहते हैं कि भारत की तकनीक की केवल एक सेट स्थिति में परीक्षण करना युद्ध के वास्तविक संदर्भों में उसका मूल्यांकन नहीं कर सकता। इसे एक तरह का प्रचार भी माना जा रहा है, जिससे यह प्रकट होता है कि चीन भारत की उपलब्धियों को अत्यधिक महत्व नहीं दे रहा है।

भारत की तकनीकी उपलब्धियां

भारत का यह परीक्षण न केवल उसे एक तकनीकी महाशक्ति की श्रेणी में लाता है बल्कि इसने चीन की सैन्य रणनीतियों को भी चुनौती दी है। भारत के पास अब वह तकनीक है, जिसके माध्यम से वह ड्रोन, क्रूज मिसाइलों, तथा अन्य गैर-पारंपरिक हथियारों को भी प्रभावी ढंग से नष्ट कर सकता है। यह स्थिति चीन के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि भारत की वायु रक्षा प्रणाली किसी भी संभावित सैन्य खतरे का सामना करने में सक्षम बन सकती है।

चीन का यह भी मानना है कि यदि भारत अपनी प्रणाली को चलाने में सफल होता है, तो इससे उसके लिए संभावित खतरा बढ़ेगा। भारत की वायु रक्षा प्रणाली का प्रभाव पहले ही देखा गया है, जैसे कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान। ऐसे में, यदि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं में और सुधार करता है, तो ये चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय पैदा करेगा।

निष्कर्ष

भारत की नई वायु रक्षा प्रणाली का परीक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल देश की सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि यह दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। चीन की प्रतिक्रियाएँ इस बात का संकेत हैं कि उसने भारत की क्षमताओं को लेकर चिंता व्यक्त की है, और यह असली चुनौती केवल तकनीकी प्रदर्शन से ही पार नहीं की जा सकती।

भारत को इस मौके का लाभ उठाते हुए अपनी रक्षा क्षमताओं को और भी मजबूत करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी प्रकार के संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए तैयार है।

फिलहाल, यह देखा जाना बाकी है कि भारत और चीन के बीच की यह नोकझोंक कैसे आगे बढ़ेगी, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि भारत ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर स्पष्ट कर दिया है कि वह अब विश्व के नक्शे पर एक महत्वपूर्ण सैन्य शक्ति है।

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