राजनीतिक

अतीक अहमद को माफिया बताने पर मिली सजा, पूजा पाल ने BJP में शामिल होने की बातें खारिज कीं

समाजवादी पार्टी के निष्कासित विधायक पूजा पाल का बयान

समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल ने कहा कि उन्हें अतीक अहमद को माफिया कहने की सजा मिली है। उन्होंने अखिलेश यादव को लिखे अपने पत्र में बताया कि यह निर्णय उन्होंने सजगता के साथ लिया है। पूजा पाल ने सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी नीतियों का समर्थन किया था और अतीक अहमद को माफिया बताया था, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

पार्टी से निष्कासन के बाद की स्थिति

विधायक पूजा पाल ने कहा कि उनके निष्कासन के बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं और अतीक अहमद के समर्थकों का मनोबल बढ़ गया है। इस समय उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणियाँ हो रही हैं और उन्हें जानकारी मिली है कि अतीक अहमद के समर्थकों को यह खबर मिली है कि पूजा पाल को समाजवादी पार्टी से हटा दिया गया है। इस स्थिति में उन्होंने अखिलेश यादव को पत्र लिखने का निर्णय बहुत सोच-समझकर लिया है।

बीजेपी में शामिल होने की अटकलें

जब उनसे बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बारे में पूछा गया, तो पूजा पाल ने स्पष्ट किया कि उनके पति की मृत्यु के दिन से उन्होंने माफियाओं के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा कि वह उस पार्टी का समर्थन करेंगी जो माफिया को रोक सके। उनकी वर्तमान विचारधारा बीजेपी से मेल खाती है और इसलिए वह बीजेपी द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करती हैं। पूजा पाल ने कहा कि बीजेपी माफिया को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है और यही वजह है कि उनके विचार एक जैसे हैं।

सवालों के जवाब

जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कैसे पता चला कि समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने बीजेपी को वोट दिया है, तो पूजा पाल ने कहा कि यह बात सभी को पता है क्योंकि इसे अखबारों में छापा गया था। उन्होंने कहा, “अगर आप, आपके पति या पत्नी और समाजवादी पार्टी के सभी सदस्य बीजेपी को वोट दे सकते हैं और केवल राजनीतिक फायदे के लिए राजनीति का समर्थन कर सकते हैं, तो फिर एक साधारण विधवा महिला होने के नाते, जब मैंने न्याय माँगा, तो मैंने केवल न्याय पाने के लिए वोट क्यों दिया? तो मैंने क्या गलती की?”

पूजा पाल ने यह भी कहा कि उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए था। उन्होंने टिप्पणी की कि यदि यह नोटिस जारी किया जाता, तो वह अपना दर्द व्यक्त कर सकती थीं और शायद पार्टी इसे समझती भी। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया।

निष्कर्ष

पूजा पाल के बयान से स्पष्ट होता है कि राजनीति में कहाँ तक स्थिति को लेकर भावनाएँ और विचारधाराएँ महत्वपूर्ण होती हैं। उनका यह कदम यह दर्शाता है कि वे न केवल अपने अधिकारों की रक्षा करना चाहती हैं, बल्कि उन समाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डालना चाहती हैं जो आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण हैं।

इस बयानी घटना से समाजवादी पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों में उठापटक के संकेत भी मिलते हैं। राजनीतिक समाज में महिलाओं की भूमिका, उनकी आवाज़ और संघर्ष को अधिक महत्वपूर्णता दी जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने सदा से ही समाज के उत्थान में योगदान दिया है।

इस प्रकार, पूजा पाल की स्थिति और उनके विचार न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभव को दर्शाते हैं, बल्कि एक बड़े सामाजिक मुद्दे पर भी प्रकाश डालते हैं। यह स्पष्ट है कि राजनीति की दुनिया में इन आवाज़ों की अति आवश्यकताएँ प्रभावी हो सकती हैं, और इनसे सामाजिक बदलाव की ओर एक नई राह भी निकल सकती है।

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