गिरिवर प्लस-2 हाई स्कूल पलामू में सुविधाओं की कमी और शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है।

मेदिनीनगर के गिरिवर प्लस-2 हाई स्कूल में चुनौतियाँ
मेदिनीनगर के उत्तरी कोयल तट पर स्थित राजकीयकृत गिरिवर प्लस-2 हाई स्कूल कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें शिक्षकों की कमी, खेल मैदान का अभाव, और बिजली की समस्या शामिल हैं। छात्रों ने इन समस्याओं को उजागर किया है, जो उनकी शिक्षा और विकास पर सीधे तौर पर असर डाल रही हैं।
स्कूल का परिचय
गिरिवर प्लस-2 हाई स्कूल की स्थापना 1933 में हुई, जब देश स्वतंत्र नहीं हुआ था। यह विद्यालय आठवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए शिक्षा प्रदान करता है। वर्तमान में यहां लगभग 1500 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। हालांकि, इस स्कूल की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
शिक्षकों की कमी
विद्यालय में माध्यमिक सेक्शन के लिए कुल 28 शिक्षकों का नियुक्ति का प्रावधान है, लेकिन केवल 16 शिक्षक ही कार्यरत हैं, जिससे 12 पद रिक्त हैं। प्लस-2 में शिक्षकों की सभी स्वीकृत पद संख्या के अंतर्गत केवल 11 पद भरे हुए हैं। इसके अतिरिक्त, अनुसेवक पद पर भी केवल दो लोग कार्यरत हैं, जबकि चार शिक्षक आईसीटी के लिए नियुक्त हैं। इससे यह साफ है कि शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
बिजली की समस्या
बिजली की आवश्यकताओं के लिए स्कूल में साउंडलेस जनरेटर की व्यवस्था नहीं है, जिससे पढ़ाई में बाधा आती है। स्मार्ट क्लास और आईसीटी की कक्षाओं में छात्र अक्सर बिजली की कमी से परेशान होते हैं। इसके अलावा, पर्याप्त संख्या में आरओ की व्यवस्था न होने के कारण छात्रों को पेयजल के लिए भी परेशानी होती है।
खेल का अभाव
खेलों के लिए विद्यालय में कोई फील्ड नहीं है, जिससे छात्र आउटडोर खेल गतिविधियों से वंचित रह जाते हैं। उनका कहना है कि खेल का मैदान न होने के कारण वे अपनी प्रतिभा को निखार नहीं पा रहे हैं। बरसात के समय स्कूल परिसर में जल भराव की समस्या से भी छात्रों को जूझना पड़ता है।
शोरगुल की समस्या
विद्यालय के चारों ओर लगातार वाहनों का आवागमन होता रहता है, जिससे शोरगुल बना रहता है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि ध्यान केंद्रित करके पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, हर साल श्रावण में शिवाजी मैदान में होने वाले मेला के कारण भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है, जिससे बच्चे और शिक्षक दोनों ही परेशान रहते हैं।
सुझाव और समाधान
छात्रों ने कुछ सुझाव दिए हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए अध्ययन का माहौल सुधारने की कोशिश की जा सकती है:
- खेल का मैदान निर्माण: छात्रों का कहना है कि एक उचित खेल का मैदान बनाया जाना चाहिए ताकि वे अपनी खेल प्रतिभा दिखा सकें।
- जल प्रबंधन की व्यवस्था: वाटर हार्वेस्टिंग और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रणाली लागू की जानी चाहिए ताकि जलभराव और कचरा समस्याओं से छुटकारा पाया जा सके।
- शिक्षकों की नियुक्ति: शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए, माध्यमिक सेक्शन में शिक्षकों की कमी को जल्दी से दूर करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
- बहुदेशीय भवन निर्माण: विद्यालय परिसर में एक बहुदेशीय भवन बनाने से परीक्षाओं के दौरान पढ़ाई में रुकावट नहीं आएगी।
- बिजली व्यवस्था: स्कूल में 40 केवी का सेल्फ स्टार्ट जनरेटर स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि बिजली जाने पर पढ़ाई प्रभावित न हो।
विद्यार्थियों के अनुभव
छात्रों ने अपनी समस्याओं को साझा करते हुए कहा कि वे शिक्षकों की कमी के कारण समय पर पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा, शौचालयों, पेयजल, और खेल मैदान की कमी भी उनकी पढ़ाई में बाधा डाल रही है। कई छात्रों ने यह कहा कि अगर स्कूल के चारों ओर शोरगुल कम होता तो उनकी पढ़ाई में सुधार हो सकता था।
निष्कर्ष
गिरिवर प्लस-2 हाई स्कूल की ये समस्याएँ केवल विद्यालय के छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण शिक्षा तंत्र के लिए एक चुनौती हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक है कि स्कूल प्रशासन और प्रदेश सरकार मिलकर ठोस कदम उठाए, ताकि विद्यार्थियों के शिक्षा और विकास में कोई बाधा न आए।
छात्रों की रचनात्मकता, प्रतिभा, और कुशलता को निखारने के लिए सही माहौल उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है। अगर इन समस्याओं का समाधान किया जाए, तो निश्चित रूप से विद्यालय के छात्र और अधिक सफल हो सकते हैं।
चुनौतियों का सारांश
- खेल का मैदान का अभाव: बिना खेल के, छात्र अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाते।
- शिक्षकों की कमी: शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।
- बिजली की समस्या: विद्युत आपूर्ति की अस्थिरता से पढ़ाई प्रभावित होती है।
- शोरगुल की समस्या: शोरगुल से ध्यान केंद्रित करना कठिन होता है।
- स्वच्छता और पानी की कमी: जल और स्वच्छता की सही व्यवस्था न होने से छात्रों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इन सभी मुद्दों का समुचित समाधान करके मेदिनीनगर के गिरिवर प्लस-2 हाई स्कूल को एक बेहतर शैक्षणिक माहौल दिया जा सकता है।