बिहार राजनीति: महागठबंधन में लालू को झटका, प्रमुख नेता ने राजद से त्यागपत्र दिया।

किशनगंज में राजद के जिलाध्यक्ष और पूर्व विधायक मो. कमरूल होदा ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने त्याग पत्र में कहा है कि वे सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते हैं। हालाँकि, उन्होंने अभी किसी अन्य दल में शामिल होने की योजना से इनकार किया है। होदा के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक चर्चाओं को तेज कर दिया है।
राजद जिलाध्यक्ष की ओर से इस्तीफे के पीछे उनके निजी कारण हैं, जिसके लिए उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को सूचित किया। इससे पहले भी उन्होंने पार्टी के नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त किया था। उन्होंने फोन पर कहा, “मैं निजी कारणों की वजह से इस्तीफा दे रहा हूँ और फिलहाल किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।”
इस बीच, यह भी ध्यान देने योग्य है कि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में होदा का इस्तीफा राजनीतिक स्थिति पर प्रभाव डाल सकता है। जिले में महागठबंधन की स्थिति काफी मजबूत है और सांसद सहित सभी चार विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है।
दूसरी ओर, राजद ने कोचाधामन के विधायक हाजी इजहार असफी को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। इस मनोनयन पर उन्हें बधाई दी गई है। विधायक असफी ने इस जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाने का आश्वासन दिया है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय जनता दल अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष दानिश इकबाल को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। इस अवसर पर राजद कार्यकर्ताओं ने शहर के लाइन मोहल्ला में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया। दानिश को माला और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया।
बातचीत के दौरान, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष अबू फरहान ने कहा कि किशनगंज जिले के एक कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलना गर्व की बात है। दानिश इकबाल ने कहा कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे उसे पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयास करेंगे।
इस सम्मान समारोह में कई अन्य नेता और कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने जिले के विकास और पार्टी के हित में एकजुटता का प्रदर्शन किया।
इस प्रकार, किशनगंज में राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आ गई है। हाजी इजहार असफी और दानिश इकबाल का मनोनयन और कार्यकर्ताओं द्वारा परिचय समारोह राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। राजद के लिए यह समय तनाव भरा है, लेकिन कार्यकर्ताओं की एकता और संवेदनशीलता एक सकारात्मक भविष्य के संकेत दे रही है।
कुल मिलाकर किशनगंज की राजनीतिक चालें आगे क्या मोड़ लेंगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन अभी के लिए नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच का यह सहयोग दर्शाता है कि पार्टी में उम्मीदें और संभावनाएँ अभी भी जीवित हैं।