भारत-चीन सीमा व्यापार बिंदुओं का पांच साल बाद फिर से खुलना: इसका महत्व क्या है?

भारत और चीन ने पांच साल बाद हिमालयी सीमा पर तीन व्यापारिक बिंदुओं को पुनः खोलने का निर्णय लिया है। यह निर्णय चीन के विदेश मंत्री वांग यी की हालिया यात्रा के दौरान लिया गया। इसका प्रभाव भारतीय सीमावर्ती इलाकों, तिब्बत की अर्थव्यवस्था और क्षेत्र की शक्ति संतुलन पर अपेक्षाकृत बड़ा होगा।
यहां तीन प्रमुख व्यापारिक बिंदुओं के बारे में चर्चा की गई है: शिपकी ला पास, लिपुलेख पास, और नाथु ला पास। इन तीनों सीमाओं को 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण बंद कर दिया गया था। हालांकि, सीमा पर ताजगी और गलाकाट तनाव के कारण इनका पुनः संचालन लगातार टलता रहा, जबकि व्यापारियों की मांग अविरल रही।
### शिपकी ला पास
शिपकी ला पास, हिमाचल प्रदेश का एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती बिंदु है। यह नेशनल हाईवे-5 के जरिए रेकांग पियो और शिमला से जुड़ता है। इस बिंदु पर भारत और तिब्बत के बीच व्यापार की संभावनाएं हैं, लेकिन अभी तक व्यापार का स्तर अपेक्षित नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में यहां से महज ₹59.3 लाख और 2018 में मात्र ₹3.7 लाख का व्यापार हुआ।
हालांकि, किन्नौर प्रशासन ने यहां एक आधुनिक व्यापारिक केंद्र के निर्माण की योजना बनाई है, जहां व्यापारियों के लिए सभी सुविधाएं एकत्रित होगी। इसके साथ ही, जानवरों के आयात को लेकर एक क्वारंटीन स्टेशन बनाने का प्रस्ताव भी है। यह उपाय निश्चित रूप से व्यापार को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा।
### लिपुलेख पास
लिपुलेख पास, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और टनकपुर से जुड़ता है, लेकिन यह अन्य दो बिंदुओं की तुलना में सबसे कम विकसित है। 2022 की सैटेलाइट तस्वीरों में दिखाया गया है कि यहां कोई बड़ी सुविधा नहीं है और पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक जाने वाली सड़क की स्थिति भी खराब है। पिछले रिकॉर्ड में इस बिंदु से होने वाले व्यापार का कोई ठोस आंकड़ा नहीं है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यहां व्यापारिक गतिविधियों की कमी है।
इसके बावजूद, लिपुलेख पास के पुनः खोलने से यहां व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही है। व्यापारियों का मानना है कि अगर सरकारी सुविधाएं बेहतर की जाएं, तो यहां व्यापार तेजी से बढ़ सकता है।
### नाथु ला पास
नाथु ला पास, इन तीनों में सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त व्यापारिक बिंदु है। यह सिक्किम के चांग्गू और तिब्बत के रेनकिंगगांग को जोड़ता है। नाथु ला पास पर व्यापार और आव्रजन की सुविधाएं अच्छी हैं। यह सीमा 1962 में बंद होने से पहले सालभर खुला रहता था, केवल कुछ मौसमी बाधाओं के कारण रुकता था। नाथु ला, तिब्बत का प्रमुख व्यापारिक पोर्ट था।
2006 में दोबारा खुलने के बाद, नाथु ला से व्यापार तेजी से बढ़ा। 2016 में व्यापार का मोल ₹82.6 करोड़ तक पहुंच गया था। लेकिन 2017 में डोकलाम विवाद के बाद यह घटकर ₹8.8 करोड़ हो गया। फिर भी, 2018 में इसे फिर से ₹48 करोड़ तक पहुंचने में सफलता मिली।
भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का यह बिंदु बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने तिब्बत को अधिक निर्यात किया है और आयात में कमी आई है। अतीत में, सिक्किम सरकार का अनुमान था कि 2010 तक यह व्यापार ₹2,266 करोड़ और 2015 तक ₹12,203 करोड़ तक पहुंच जाएगा, हालांकि ये आंकड़े वास्तविकता में नहीं आ पाए।
### समापन
भारत और चीन के बीच फिर से खोलने वाले इन व्यापारिक बिंदुओं से भले ही सीमावर्ती इलाकों में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इसके साथ-साथ कई चुनौतियाँ भी होंगी। सीमावर्ती व्यापार केवल आर्थिक सहयोग का माध्यम नहीं है, बल्कि यह भू-राजनीतिक संबंधों का भी प्रतिबिंब है।
इस निर्णय का सीमावर्ती क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और आने वाले समय में व्यापारिक गतिशीलता को सकारात्मक दिशा में बढ़ाने में मदद करेगा। इस प्रकार, भारत और चीन के बीच इन बिंदुओं का पुनः उद्घाटन निश्चित रूप से आने वाले दिनों में कई नए अवसरों और चुनौतियों को लेकर आ सकता है।