आईपीओ से पहले भी कंपनियों के शेयरों की हो सकेगी खरीद-बिक्री; सेबी अध्यक्ष ने दिए संकेत

नई दिल्ली । शेयर बाजार नियामक नियामक सेबी जल्द ही एक विनियमित प्लेटफॉर्म लॉन्च कर सकता है, जहां प्री-आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक पेशकश से पहले) कंपनियां कुछ खुलासे करने के बाद कारोबार कर सकेंगी। नियामक के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह पहल पायलट आधार पर होगी।
फिक्की की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए पांडे ने कहा कि निवेशकों के लिए निवेश निर्णय लेने के लिए कंपनियों की लिस्टिंग से पहले अक्सर पर्याप्त नहीं होती है। सेबी प्रमुख ने संकेत दिया कि हम पायलट आधार पर एक ऐसा प्लेटफॉर्म ला सकते हैं, जहां आईपीओ से पहले कंपनियां कुछ खुलासे कर व्यापार करने का विकल्प चुन सकती हैं।”
सेबी प्रमुख ने कहा कि इस पहल के अनावश्यक प्रक्रियाओं और समस्याओं के दूर करने की उम्मीद है। यह धन जुटाने, प्रकटीकरण और निवेशक को शामिल करने में अनावश्यक परेशानी पैदा करती हैं।
इसके अलावे यह प्लेटफॉर्म उन उभरते क्षेत्रों, उत्पादों और परिसंपत्ति वर्गों का पता लगाएगी जो पूंजी की मांग और आपूर्ति दोनों का सृजन करते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या प्री-आईपीओ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर डिपॉजिटरीज के साथ कोई चर्चा हुई है, तो उन्होंने कहा, “यह केवल सिद्धांत रूप में है, जो मैं कह रहा हूं।” यह नया प्लेटफॉर्म निवेशकों को आईपीओ आवंटन और लिस्टिंग के बीच तीन दिनों की अवधि में विनियमित तरीके से शेयरों का व्यापार करने की अनुमति दे सकता है। यह पहल मौजूदा अनियमित ग्रे मार्केट की जगह ले सकती है, जो वर्तमान में इस अवधि के दौरान संचालित होता है।
बाजार नियामक सेबी इक्विटी डेरिवेटिव उत्पादों की अवधि और परिपक्वता में सुधार लाने पर विचार कर रहा है। इसके अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि नकदी बाजार में कारोबार तेजी से बढ़ा है और तीन साल की अवधि में दैनिक कारोबार दोगुना हो गया है।
पांडे ने फिक्की कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस 2025 में कहा, “हम डेरिवेटिव उत्पादों की परिपक्वता प्रोफाइल में सुधार के तरीकों पर हितधारकों के साथ परामर्श करेंगे, ताकि वे हेजिंग और दीर्घकालिक निवेश के लिए बेहतर साबित हो सकें।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इक्विटी डेरिवेटिव्स पूंजी निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन नियामक को गुणवत्ता और संतुलन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
पिछले महीने, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म डेरिवेटिव ट्रेडिंग के बढ़ते प्रभुत्व पर चिंता व्यक्त की थी और चेतावनी दी थी कि इस तरह के रुझान भारत के पूंजी बाजारों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने इन उत्पादों की अवधि और परिपक्वता बढ़ाने के लिए कदम उठाने पर भी विचार किया।