डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ संघर्ष के बीच, शील्ड भारत का दृढ़ मित्र बनकर उभरेगा!

भारत-यूरेशिया व्यापार वार्ता: एक नई दिशा की ओर
भारत ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा थोपे गए 50 प्रतिशत टैरिफ में कटौती की है। इस कदम के पीछे एक मजबूत रणनीति है, जिसमें भारत के पारंपरिक मित्र रूस ने एक बार फिर सहयोग का हाथ बढ़ाया है। विशेष रूप से, भारत और रूस के नेतृत्व में यूरेशिया ब्लॉकों के बीच व्यापार वार्ताएँ शुरू हुई हैं। इस उपलब्धि की शुरुआत के लिए, भारत ने यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के साथ मास्को में एक मुक्त व्यापार समझौते के संवाद के लिए संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह घटना भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार संबंधों के बीच बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत के विदेश मंत्री इन दिनों रूस के दौरे पर हैं, और इसी दौरान ये महत्वाकांक्षी समझौते किए गए हैं। EAEU में प्रमुख सदस्य देशों में आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, और रूस शामिल हैं। यह समझौता भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें यह नए बाजारों में विविधता लाने और प्रमुख व्यापार भागीदारों के साथ व्यापार सौदों पर काम कर रहा है।
नए व्यापार अवसर की तलाश
व्यापार तनाव के बावजूद, भारत और अमेरिका नए व्यापार के अवसरों की खोज कर रहे हैं। यह प्रस्तावित एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) न केवल भारत के लिए नए बाजार खोलेगा, बल्कि रूस के साथ आर्थिक संबंधों को भी मजबूती देगा। रूस भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जो EAEU के साथ भारत के कुल व्यापार का 92 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखता है।
संदर्भ स्थितियों पर हस्ताक्षर भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और यूरेशियन आर्थिक आयोग के व्यापार नीति विभाग के उप निदेशक द्वारा किए गए। उन्होंने ईईसी के कारोबार मंत्री से भी मुलाकात की। इस बैठक में भारत और EAEU के बीच बढ़ते व्यापार पर चर्चा की गई, जो 2024 तक 69 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
इस प्रस्तावित एफटीए का महत्व इसकी विशाल आर्थिक क्षमता में निहित है, क्योंकि दोनों पक्षों का संयुक्त GDP लगभग 6.5 ट्रिलियन डॉलर है। यह समझौता भारतीय निर्यातकों के लिए व्यापारिक पहुंच का विस्तार करेगा और विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विविधीकरण को समर्थन देगा। यह न केवल प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा बल्कि छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए भी फायदेमंद होगा।
वाणिज्य मंत्रालय का मानना है कि संदर्भ की स्थिति वार्ता के लिए एक संरचना प्रदान करती है और यह भारतीय व्यापार की संभावनाओं को अनलॉक करने, निवेश को बढ़ाने, और एक मजबूत एवं स्थायी आर्थिक साझेदारी स्थापित करने में सहायता करेगी।
दोनों पक्ष जल्द से जल्द इस समझौते को अंतिम रूप देने का प्रयास कर रहे हैं, और लम्बी अवधि के व्यापार सहयोग के लिए एक संस्थागत संरचना का निर्माण करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। भारत और रूस ने 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक लाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वर्तमान में 65 बिलियन डॉलर से अधिक है।
यह एफटीए न केवल भारत के लिए रूस और अन्य EAEU देशों के साथ व्यापार संबंधों को गहरा करेगा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से व्यावसायिक संपर्क भी बढ़ाएगा।
यूरेशिया क्या है?
यूरेशिया एक भौगोलिक और भू-राजनीतिक शब्द है, जो यूरोप और एशिया महाद्वीपों को एक संयुक्त भौगोलिक इकाई के रूप में दर्शाता है। यह पृथ्वी का सबसे बड़ा निरंतर इलाका है, जो पूर्व में प्रशांत महासागर से पश्चिम में अटलांटिक महासागर तक फैला हुआ है। इसके उत्तर में आर्कटिक महासागर और दक्षिण में भूमध्य सागर का क्षेत्र है। यूरेशिया में लगभग 55 मिलियन वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र शामिल है, जो विश्व के कुल इलाके का लगभग 36.2 प्रतिशत है।
यूरेशिया के क्षेत्र में कई अलग-अलग प्रकार के सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक विशेषताएँ पाई जाती हैं। यहां पर विभिन्न भाषाएँ, धर्म, और सांस्कृतिक परंपराएँ एक साथ समाहित हैं। यूरेशिया का उत्पादन औद्योगिक और कृषि दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत और यूरेशिया का व्यापार: एक रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने व्यापारिक संबंधों को वैश्विक स्तर पर मजबूती दी है। यूरेशिया के देशों के साथ व्यापार बढ़ाने का उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ प्राप्त करना नहीं है, बल्कि राजनीतिक स्थिरता को भी बढ़ावा देना है।
यूरेशिया ब्लॉक के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने की रणनीति भारत के लिए कई फायदेमंद साबित हो सकती है:
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विकास के नए रास्ते: ईयू और अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में निरंतरता लाते हुए, यूरेशिया से जुड़ने से भारत को विकास के नए रास्ते मिल सकते हैं।
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सप्लाई चेन में विविधता: यूरेशिया के सदस्यों के साथ व्यापारिक रिश्तों का विकास भारत की सप्लाई चेन को विभिन्न स्रोतों से जोड़ सकता है, जिससे व्यापार में स्थिरता आएगी।
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उद्योगों का विकास: भारत के कई उद्योगों की परंपरागत रूप से विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रही है। यदि भारत यूरेशिया देशों में अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकता है, तो यह घरेलू उद्योग को भी बढ़ावा देगा।
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भविष्य की संभावनाएँ: यूरेशिया के साथ भागीदारी विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकती है, जिससे नए उद्योग खुलने और नौकरियों में वृद्धि की संभावना बढ़ जाएगी।
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बुनियादी ढांचे का विकास: यह भी संभव है कि भारत और यूरेशिया के बीच सहयोग से बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़े, विशेष रूप से परिवहन और कनेक्टिविटी क्षेत्र में।
निष्कर्ष
भारत और यूरेशिया के बीच व्यापार वार्ता एक नई दिशा की ओर संकेत कर रही है। यह केवल आर्थिक सहयोग का मामला नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक दृष्टिकोण का भी हिस्सा है, जो कि भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत स्थिति में लाने का प्रयास है। ईएयू के देशों के साथ व्यापार बढ़ाने से न केवल भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान करेगा।
इस नए आर्थिक गठबंधन से भारत को केवल आर्थिक लाभ ही नहीं मिलेगा, बल्कि यह देशों के बीच आपसी संबंधों को भी मजबूती प्रदान करेगा। इसलिए, भारत की यह नई रणनीति वृहद स्तर पर न केवल व्यापार के लिए, बल्कि भौगोलिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
इस समझौते की प्रगति और इसके प्रभावों का सही आकलन करने के लिए, सभी संबंधित पक्षों को तत्परता से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसे भारत को सजगता से भुनाना चाहिए।