व्यापार

टैरिफ विवादों के बीच जयशंकर ने कहा – भारत और रूस को व्यापार की संभावनाओं का अधिकतम उपयोग करना चाहिए।

जयशंकर का रूस दौरा: भारत-रूस संबंधों में नई संभावनाएं

विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों रूस के दौरे पर हैं। यह यात्रा उस समय हो रही है जब अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आयात पर 50% तक के टैरिफ लगा दिए हैं, जिसमें रूसी तेल पर 25% शुल्क शामिल है। ऐसे समय में, भारत और रूस के बीच व्यापार और निवेश संबंधों की प्रगति और मजबूती की आवश्यकता है।

जयशंकर ने रूस के पहले उप प्रधानमंत्री डेनिस मांटुरोव से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत और रूस को अपने व्यापार और निवेश संबंधों की पूरी क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों देशों को नए दृष्टिकोणों से विचार करना और कार्य करना होगा।

भारत-रूस व्यापार का बढ़ता आकार

जयशंकर के अनुसार, पिछले चार वर्षों में भारत-रूस व्यापार में पांच गुना वृद्धि देखी गई है। 2021 में यह व्यापार 13 अरब डॉलर था, जो 2024-25 में 68 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इस वृद्धि के साथ-साथ व्यापार में असंतुलन भी बढ़ा है, जो 6.6 अरब डॉलर से बढ़कर 58.9 अरब डॉलर हो गया है। उन्होंने इसे लेकर तुरंत कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

बाधाओं को दूर करने की दिशा में कदम

विदेश मंत्री ने टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा, उन्होंने इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ावा देने की बात की। इन पहलों का उद्देश्य व्यापार को सुगम बनाना और दोनों देशों के बीच सहयोग को प्रगति देना है।

भारत-यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को जल्द निष्पादित करने और 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को समय पर लागू करने के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। इन पहलों से न केवल व्यापार संतुलन में सुधार होगा, बल्कि 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकेगा।

नेताओं के बीच निरंतर संवाद

जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के नेता लगातार संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस महीने दो बार टेलीफोन पर बातचीत हुई है। यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के नेताओं का संबंध सहयोगात्मक बना हुआ है। मोदी और पुतिन की अगली मुलाकात 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन के तिआनजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में होने की संभावना है।

मुलाकात में चर्चा के विषय

जयशंकर की मांटुरोव के साथ मुलाकात के बाद, उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों के बीच विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, ऊर्जा, उद्योग, शिक्षा, कौशल विकास, गतिशीलता और संस्कृति पर विस्तार से चर्चा हुई। यह दर्शाता है कि भारत और रूस के बीच न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सहयोग की भी संभावनाएं हैं।

निष्कर्ष: भारत-रूस संबंधों का भविष्य

इस दौरे से यह स्पष्ट होता है कि भारत-रूस संबंधों में नई संभावनाएं और अवसर मौजूद हैं। वर्तमान जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच, यह आवश्यक है कि दोनों देश आपसी सहयोग को और अधिक मजबूती से आगे बढ़ाएं।

जयशंकर की यह यात्रा दर्शाती है कि भारत अपनी रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहा है। साथ ही, यह भी दर्शाता है कि वैश्विक व्यापार में बदलते परिवेश के बीच, भारत और रूस जैसे देश अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए हैं।

इस प्रकार, जयशंकर का रूस दौरा केवल एक व्यापारिक वार्ता नहीं बल्कि एक नई दिशा की ओर अग्रसर होने का संकेत है। दोनों देश एक साथ मिलकर अपने संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर उनके हाथ में अधिक शक्ति और प्रभाव होगा।

इसी तरह की वार्ताएं और साझेदारियां भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेंगी, जिससे दोनों देशों के बीच न केवल आर्थिक संबंध बल्कि सांस्कृतिक और शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ेगा। यह यात्रा निश्चय ही भारत-रूस संबंधों के परीक्षण और विकास का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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