आगरा और आसपास के कॉलेजों में एमबीबीएस-बीडीएस की 350 सीटें भरी गईं; नीट यूजी काउंसलिंग के दौरान कुल उपलब्ध सीटें: 950

MBBS: एसएनएमसी में काउंसलिंग की प्रक्रिया
नीट यूजी काउंसलिंग के तीसरे दिन, आगरा और आसपास के कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस की 350 सीटें भर गई हैं। इसमें सरकारी और निजी कॉलेज दोनों शामिल हैं। काउंसलिंग की प्रक्रिया 26 अगस्त तक चलेगी। एसएन मेडिकल कॉलेज काउंसलिंग सेंटर पर छह कॉलेजों में प्रवेश की इस प्रक्रिया को संचालित किया जा रहा है। इन कॉलेजों में एसएन मेडिकल कॉलेज के अलावा एसकेएस मेडिकल कॉलेज मथुरा, केडी मेडिकल कॉलेज मथुरा, एफएच मेडिकल कॉलेज आगरा, कृष्ण मोहन मेडिकल कॉलेज मथुरा और केडी डेंटल कॉलेज मथुरा शामिल हैं। इन सभी कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस की कुल 950 सीटें हैं।
पहले चरण की काउंसलिंग
एसएनएमसी के अतिथि गृह में चल रही पहले चरण की काउंसलिंग के दौरान अब तक 350 सीटें भर चुकी हैं। जबकि 600 सीटें अभी भी रिक्त हैं। काउंसलिंग प्रभारी, डॉ. केएस दिनकर ने बताया कि अगर पहले चरण के बाद भी कोई सीट खाली रहती है, तो उनके लिए अगले चरण की काउंसलिंग आयोजित की जाएगी।
निजी कॉलेजों की चुनौतियाँ
इस साल नीट यूजी परीक्षा बेहद कठिन रही, जिसके कारण सरकारी कॉलेजों में उच्च रैंक वाले छात्र ही प्रवेश ले पाए। कई छात्रों ने कम नंबरों के चलते निजी कॉलेजों की ओर रुख नहीं किया। इसका एक बड़ा कारण वहां की फीस है, जो बहुत ज्यादा है। आगरा और आसपास के निजी कॉलेजों में एमबीबीएस का पैकेज 80 लाख से 1.20 करोड़ रुपए के बीच है, जबकि बीडीएस कोर्स का पैकेज 12 से 18 लाख रुपए हैं।
इस वजह से कई छात्र अब एक बार फिर से तैयारी करके अगले साल परीक्षा में बैठने का निर्णय ले सकते हैं।
काउंसलिंग की प्रक्रिया की स्थिति
काउंसलिंग में शामिल छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही काउंसलिंग प्रक्रिया में भी कुछ चुनौतियां देखी जा रही हैं। छात्रों को कई बार कई कॉलेजों की जानकारी में कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, छात्रों को सही कॉलेज का चुनाव करने के लिए उचित जानकारी की आवश्यकता है।
काउंसलिंग में पारदर्शिता
काउंसलिंग में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों ने कई नई उपायों को लागू किया है। काउंसलिंग प्रक्रिया को ऑनलाइन करने से छात्रों को काफी सुविधा मिल रही है। छात्रों को अपनी रैंक के अनुसार सभी विकल्पों की जानकारी मिलती है, जिससे वे एक उचित निर्णय ले पाते हैं।
काउंसलिंग से जुड़ी आम धारणा
अधिकांश छात्र काउंसलिंग को एक जटिल प्रक्रिया मानते हैं। उन्हें डर है कि यदि वे सही समय पर निर्णय नहीं लेते हैं तो उन्हें अच्छी कॉलेज में प्रवेश नहीं मिल पाएगा। इसके लिए छात्रों को मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है और सही समय पर निर्णय लेना होता है।
अभिभावकों की भूमिका
इस प्रक्रिया में अभिभावकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। वे अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन देने के साथ ही, उन्हें मनोबल भी बनाए रखने में मदद करते हैं। कई अभिभावक इस समय अपने बच्चों की मेहनत की सराहना करते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं।
भारत में मेडिकल शिक्षा का विकल्प
भारत में मेडिकल शिक्षा विदेशों में अध्ययन करने की तुलना में अधिक किफायती है। हालांकि, यह भी तथ्य है कि कई छात्र विदेश में जाने के लिए भी सोचते हैं। यह निर्णय भी उनके वित्तीय स्थिति और करियर की आकांक्षाओं पर निर्भर करता है।
क्या आने वाले समय में सुधार होगा?
नीट यूजी काउंसलिंग में सुधार लाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और छात्रों के हित में कई नए नियम बनाए जा रहे हैं। भविष्य में, छात्रों को और अधिक सुविधाएं मिलने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, एसएनएमसी में चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया में छात्रों के सामने कई नए अवसर आ रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही चुनौतियां भी हैं। छात्रों को चाहिए कि वे सही दिशा में प्रयास करें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें। सही मार्गदर्शन और सही निर्णय लेने से वे अपने करियर में सफलता पा सकते हैं।
इस वर्ष की काउंसलिंग प्रक्रिया ने कई छात्रों को नए अवसर प्रदान किए हैं, लेकिन साथ ही युवाओं को उनके भविष्य के प्रति सोचने और सही निर्णय लेने की आवश्यकता है।