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रेलवे का इस शहर में नया प्रयोग, पटरियों के बीच लगाया खास सिस्टम

नई दिल्ली । भारतीय रेलवे न केवल लाखों यात्रियों को रोज अपनी मंजिल तक पहुंचाती बल्कि अपने नवाचार से भी सभी को हैरान कर देती है। इस बार भी रेलवे ने कुछ ऐसा काम किया है जो देश के ऊर्जा जरूरतों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। रेलवे मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें शेयर की हैं, जिन्हें देखकर आप अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पाएंगे। इन तस्वीरों में रेल की पटरियों के बीच में सोलर पैनल लगे हुए दिखाई दे रहे हैं और उनके ऊपर से ट्रेन का इंजन गुजर रहा है।
रेलवे ने यह प्रयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स के परिसर में किया गया है। यहां 70 मीटर लंबे रेल ट्रैक पर पटरियों के ठीक बीच में खाली पड़ी जगह पर 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इन पैनलों से 15 किलोवाट पीक बिजली पैदा होगी। इस बिजली का इस्तेमाल कारखाने के अंदर इंजनों को चलाने और अन्य औद्योगिक गतिविधियों के लिए किया जाएगा। यह सिर्फ कुछ सोलर पैनल लगाने का मामला नहीं है। अगर यह प्रयोग सफल होता है और इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाता है, तो यह भारतीय रेलवे के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि, रेल पटरियों पर अक्सर काम होता रहता है। वहां नियमित अंतराल पर मेंटेनेंस होता है। इसलिए वहां रिमूवेबल सोलर पैनल लगाए गए हैं। फिलहाल पैनलों को रबर पैड और एपॉक्सी एडहेसिव से फिक्स किया गया है। एक सोलर पैनल का आकार 2278़1133़30 मिलीमीटर और वजन 31.83 किलो है। जब भी जरूरत होगी, इन पैनलों को हटाया जा सकता है। यह सोलर पैनल कुछ इस तरह के हैं कि रेल कर्मचारी उसे कुछ ही घंटे में रेल पटरी पर फिक्स कर सकते हैं या हटा सकते हैं। मतलब कि जब पटरी पर मेंटेनेंस करना हो तो सोलर पैनल हटा लिए जाएंगे और टैक मेंटनेंस का काम पूरा हो गया तो फिर से सोलर पैनल लगा दिया जाएगा।
रेलवे सूत्रों का कहना है कि,शुरूआती चरण में इनसे बनने वाली बिजली को ग्रिड में भेजा जाएगा और इसका इस्तेमाल कारखाने की आंतरिक जरूरतों, जैसे इंजनों की टेस्टिंग और अन्य गतिविधियों के लिए किया जाएगा। भविष्य में तकनीक उन्नत होने पर इसे सीधे ट्रेनों को पावर देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले इस तरह का प्रयोग स्विट्जरलैंड के एक छोटे से गांव में किया गया था। वहां भी 100 मीटर रेलवे ट्रैक पर 48 सोलर पैनल लगा कर बिजली बनाई जा रही हैं। वहां शुरू की गई परियोजना को 585,000 स्विस फ्रैंक में शुरू किया गया है।

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