अंतरराष्ट्रीय

किम जोंग ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यासों की तीखी निंदा की, परमाणु विस्तार की चेतावनी देते हुए, जानें दुनिया के सबसे शक्तिशाली तानाशाह के इरादे।

किम जोंग उन की आलोचना: दक्षिण कोरिया और अमेरिका के सैन्य अभ्यास

किम जोंग उन, उत्तर कोरिया के नेता, ने हाल ही में दक्षिण कोरिया और अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यासों की तीव्र आलोचना की। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनके देश को अपने परमाणु बलों का तेजी से विस्तार करना होगा ताकि वे विरोधियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। यह बयान उन्होंने अपने नवीनतम युद्धपोतों का निरीक्षण करते हुए दिया, जो परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम होंगे।

संयुक्त सैन्य अभ्यास का पृष्ठभूमि

किम जोंग उन का यह बयान तब आया जब दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने अपने वार्षिक ग्रीष्मकालीन सैन्य अभ्यास ‘उल्ची फ्रीडम शील्ड’ की शुरुआत की। यह अभ्यास उन बढ़ते खतरों के जवाब में आयोजित किया जा रहा है, जो दोनों देशों का सामना कर रहे हैं। यह 11 दिन तक चलने वाला अभ्यास है, जिसमें कुल 21,000 सैनिक शामिल हैं, जिनमें से 18,000 दक्षिण कोरिया से हैं। इसमें कंप्यूटर-आधारित कमांड पोस्ट अभियान और क्षेत्रीय प्रशिक्षण शामिल है।

उत्तर कोरिया का दृष्टिकोण

उत्तर कोरिया लंबे समय से संयुक्त सैन्य अभ्यासों को आक्रमण की तैयारी के रूप में देखता आ रहा है। किम जोंग उन अक्सर इन अभ्यासों को अपने सैन्य परीक्षणों और परमाणु कार्यक्रमों को सही ठहराने के लिए उपयोग करते हैं। कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित नहीं हो पाई है, और यह क्षेत्र अभी भी युद्ध की स्थिति में है। दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच विभाजन ने इन सैन्य अभ्यासों के प्रति एक विशेष संवेदनशीलता उत्पन्न की है।

किम का सैन्य निरीक्षण

किम जोंग उन ने जिस युद्धपोत का निरीक्षण किया, उसका नाम “चो हियोन” है। यह युद्धपोत पहली बार अप्रैल में 5,000 टन के भार के साथ प्रदर्शित किया गया था। किम ने उल्लेख किया कि अमेरिका-दक्षिण कोरिया के इस सैन्य अभ्यास से युद्ध की गंभीरता को दर्शाया जाता है। उनके अनुसार, इन अभ्यासों में अब परमाणु तत्व शामिल हो चुके हैं, जिसके कारण उत्तर कोरिया को भी जवाब देना आवश्यक हो गया है।

दक्षिण कोरिया की प्रतिक्रिया

हालांकि किम जोंग उन ने तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया है, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे मुंग की सरकार ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। दक्षिण कोरिया का सुरक्षा मंत्रालय किम के द्वारा बताए गए युद्धपोतों की क्षमता के बारे में कोई नई जानकारी साझा नहीं कर रहा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दक्षिण कोरिया किम के बयानों का विरोध करेगा या इस विषय पर कोई सकारात्मक रुख अपनाएगा।

अभ्यास का उद्देश्य

दक्षिण कोरिया और अमेरिका के सैन्य अधिकारियों का कहना है कि ‘उल्ची फ्रीडम शील्ड’ अभ्यास का मुख्य उद्देश्य उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु और मिसाइल हमलों के खतरों का मुकाबला करना है। इस अभ्यास में उत्तर कोरिया के परमाणु हमले को रोकने और उस पर प्रतिक्रिया करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण शामिल होगा। इसके अलावा, इस अभ्यास में रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-ईरान जैसे हाल के संघर्षों के अनुभवों से भी सबक लिया जाएगा।

साइबर खतरा और आधुनिक रणनीतियाँ

कार्यक्रम में साइबर हमलों से निपटने, ड्रोन हमलों, GPS बाधाओं और रणनीतियों का भी समावेश होगा। ये सभी पहलू वर्तमान की युग में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जहां सूचना का युद्ध और तकनीकी ज्ञान किसी भी संघर्ष में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

निष्कर्ष

उत्तरी कोरिया की प्रतिक्रिया और वैश्विक चिंताओं के बीच, यह स्पष्ट है कि किम जोंग उन और उनके प्रशासन की सैन्य शक्ति की आकांक्षा कभी भी कम नहीं होने वाली है। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के साथ संबंधों की स्थिति समय के साथ और भी जटिल होती जा रही है। दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे उत्तर कोरिया के खतरों का मुकाबला करने के लिए एक ठोस रणनीति बनाएं।

अगले कुछ सप्ताहों में यदि किम जोंग उन के बयान और संयुक्त सैन्य अभ्यासों का असर देखने को मिलता है, तो संभव है कि क्षेत्र में तनाव और भी बढ़ सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका कैसे अपनी रणनीतियों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते हैं, विशेष रूप से एक ऐसी स्थिति में जहां बातचीत और वार्ता की संभावनाएँ फीकी पड़ती जा रही हैं।

इस सब के बीच, किम जोंग उन का तानाशाही शासन अपनी सामरिक योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ निश्चय करता रहेगा। दक्षिण-उत्तर कोरिया के बीच स्थितियों की डोर विविध होती जा रही है, और इस संघर्ष का अंत कब होगा, यह कहना कठिन है।

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