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संसद में तमिलनाडु मुद्दों पर हंगामा, शिवराज ने किया गरीबों के साथ धोखे का आरोप।

संसद के चालू मॉनसून सत्र के 19वें दिन तमिलनाडु के मुद्दों पर विवाद गहराया। लोकसभा में प्रश्नकाल के समय आंध्र प्रदेश के नरसाराओपेट से तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद लवू श्रीकृष्ण देवरायलु ने प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में सवाल उठाए। उन्होंने तमिलनाडु में इस योजना के तहत स्वीकृत आवास और बजट आवंटन से जुड़े मुद्दों पर सवाल किए।

इसका उत्तर देने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में भाग लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए अत्यंत दुःख हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने तमिलनाडु में भी गरीबों के लिए आवास बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2 लाख 15 हजार मकानों के लिए स्वीकृति नहीं दी गई है, जो कि अन्याय की एक पराकाष्ठा है।

आर्थिक सहायता देने के बावजूद निर्मित मकानों की कमी पर चर्चा करते हुए शिवराज ने कहा कि सरकार गरीबों के लिए घर बनाने के लिए पैसे दे रही है, लेकिन तमिलनाडु की सरकार आवासों की स्वीकृति में लापरवाह है। उन्होंने इसे गरीबों के साथ धोखा और अन्याय करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि 3 लाख से ज्यादा मकानों के लिए पैसे दिए जा चुके हैं, फिर भी निर्माण पूरे नहीं हुए हैं।

शिवराज ने सवाल उठाया कि आखिर तमिलनाडु की सरकार को दिक्कत क्या है। उन्होंने कहा कि अगर गरीबों के मकान बनेंगे तो मोदी जी का नाम होगा, और इसी बात से उनको परेशानी है। मंत्री ने यह भी कहा कि सर्वेक्षण नहीं करने के लिए उन्होंने सरकार की आलोचना की और यह भी कहा कि यह पाप है। उन्होंने मांग की कि तमिलनाडु की सरकार गरीबों के साथ अन्याय न करे।

खनन और कृषि क्षेत्र में बदलावों पर चर्चा करते हुए, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मोदी सरकार ने लैब के शोध को खेती के क्षेत्र में लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि पहली बार कृषि वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं से निकलकर खेती के क्षेत्र में पहुंचे हैं। उनके अनुसार, इससे बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।

उन्होंने कहा कि लगभग 500 ऐसे विषय हैं जिन पर शोध की आवश्यकता है। यह शोध किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए होंगे। इसके साथ ही, 300 नवाचार किसानों द्वारा किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक “विकसित कृषि अभियान” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें फिर से किसानों के बीच जाने का लक्ष्य होगा। अब यह सरकार कृषि भवन से नहीं, बल्कि खेतों और खलिहानों से चलेगी।

प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया है कि यदि सरकारी योजनाएं समय पर पूरी नहीं होंगी, तो इसका सीधा असर गरीबों के जीवन पर पड़ेगा। सांसदों ने यह मुद्दा उठाया कि जरूरतमंदों को आवास उपलब्ध कराने में देरी न केवल सरकारी लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि यह देश की सामाजिक स्थिति को भी कमजोर करती है।

विभिन्न सांसदों ने इस संदर्भ में पक्ष रखकर यह सुनिश्चित किया कि तमिलनाडु में आवास परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि आवासविहीन लोगों को उनके अधिकार मिल सकें।

इस विवाद का नतीजा यह निकला कि संसद में तमिलनाडु के असंगठित वर्ग के प्रति सहानुभूति का माहौल बना। कई सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के संदर्भ में भी चर्चा की, जहां समाज के कमजोर वर्गों के लिए आवास योजनाएं लागू की गई हैं।

शिवराज सिंह चौहान ने अपील की कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए धन का सही ढंग से उपभोग करे। इस मुद्दे पर चर्चा का सार यह था कि गरीबों की भलाई के लिए सरकारी योजनाओं का सही एवं उचित कार्यान्वयन आवश्यक है।

मंत्री चौहान ने यह भी बताया कि विकास के इस दौर में, प्रत्येक राज्य को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर राज्य सरकार सही दिशा में काम नहीं करेगी, तो यह हिंदी भाषी राज्यों के लिए एक नकारात्मक संकेत होगा।

कृषि मंत्री के साथ-साथ अन्य उपस्थित सांसदों ने यह भी कहा कि गरीबी उन्मूलन के लिए एक संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को बताया कि कृषि, उद्योग, और आवासीय योजनाएं आपस में जुड़ी हुई हों। भारत की विकास यात्रा में यह महत्वपूर्ण है कि सभी वर्गों का विकास हो।

संसद में इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि गरीबों के लिए हाउसिंग समस्या केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय का प्रश्न भी है। समाज के सभी वर्गों को उनकी मूलभूत जरूरतों की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिलकर प्रयास करना चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति बिना आवास के न रहे।

यह दृश्यातीत किया गया है कि सांसदों की आवाज गरीबों के लिए एक सशक्त माध्यम हो सकती है, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। संसद में हुए इस संवाद से यह सिद्ध होता है कि जब सभी मिलकर काम करते हैं, तब ही समाज में वास्तविक परिवर्तन संभव है।

धन्यवाद!

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