व्यापार

सोया व्यापार: चीन से डोनाल्ड ट्रंप की कमाई की आकांक्षाएँ और 2025 का हालात।

अमेरिका-चीन के बीच सोयाबीन: व्यापारिक रिश्ते और राजनीतिक रणनीति

परिचय

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्तों में सोयाबीन का मुद्दा लम्बे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर दबाव बनाया है कि वह अमेरिका से सोयाबीन की खरीद को बढ़ाए। यह विषय तब अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब चीन पहले से ही अमेरिका के कुल सोयाबीन निर्यात का आधे से ज्यादा हिस्सा खरीदता है।

अमेरिका-चीन का सोयाबीन व्यापार

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के आंकड़ों के अनुसार, 2015 में अमेरिका ने चीन को लगभग 10.5 अरब डॉलर का सोयाबीन निर्यात किया, जबकि उस समय अमेरिका का कुल सोयाबीन निर्यात 18.9 अरब डॉलर था। लेकिन 2018 में चीन ने आयात पर कटौती कर दी, जिससे अमेरिकी किसानों को बड़ा झटका लगा। इसके बाद स्थिति में सुधार हुआ और 2021 में अमेरिका का कुल सोयाबीन निर्यात 34.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 17.9 अरब डॉलर थी।

चीन ने घटाया आयात

2022 के बाद, चीन ने अमेरिका से सोयाबीन का आयात कम कर दिया। 2024 तक अनुमान है कि अमेरिका का कुल सोयाबीन निर्यात घटकर 24.5 अरब डॉलर और चीन को होने वाला निर्यात 12.6 अरब डॉलर रह जाएगा। फिर भी, चीन अमेरिकी सोयाबीन का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है।

ट्रंप की सोयाबीन कूटनीति

ट्रंप की ‘सोयाबीन कूटनीति’ केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति भी है। अमेरिका अपने किसानों को राहत देने के लिए चीन पर दबाव डालना चाहता है, क्योंकि सोयाबीन अमेरिकी कृषि निर्यात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मिडवेस्ट के किसानों की आय सीधे तौर पर इस पर निर्भर होती है। वहीँ, चीन अब अपने आयात स्रोतों को विविध बनाना चाहता है। ब्राज़ील और अर्जेंटीना जैसे देश चीन को सोयाबीन आपूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

सिरेसिरी की दुविधा

चीन की वर्तमान स्थिति कुछ चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि वह अमेरिका के निर्यात में कमी करने के साथ-साथ अपने आयात स्रोतों को भी सुव्यवस्थित करना चाहता है। ऐसे में कार्यक्रमों के माध्यम से देश अपनी कृषि और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखना चाहता है। इसीलिए, अमेरिका और चीन के बीच सोयाबीन का व्यापार न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है।

अमेरिका की अपेक्षाएँ

अपने राष्ट्र की खजाने को बढ़ाने के लिए ट्रंप ने कई देशों से, विशेषकर चीन, से उम्मीदें जताई हैं कि वे उनके व्यापारिक शर्तों पर व्यवहार करेंगे। ऐसे में ट्रंप की योजना है कि अन्य देशों की तरह चीन भी अमेरिका से अधिक मात्रा में सोयाबीन खरीदे। यह योजना इस कारण से भी महत्वपूर्ण है कि सोयाबीन की बढ़ती मांग बढ़ती अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

निचोड़

अमेरिका और चीन के बीच सोयाबीन का व्यापार एक जटिल विषय है जिसमें न केवल आर्थिक पहलू शामिल हैं बल्कि राजनीतिक मंशाएँ भी निहित हैं। ट्रंप की रणनीति इस बात को दर्शाती है कि कैसे वह अपने देश के किसानों के लाभ के लिए वैश्विक व्यापार को प्रभावित करना चाहते हैं। चीन की ओर से चालाकियों का उपयोग करते हुए, अमेरिका अपनी कृषि को मजबूत बनाना चाहता है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या ट्रंप की रणनीतियाँ सफल होती हैं और क्या चीन अपनी आयात नीति में बदलाव लाएगा।

यह संवाद न केवल सोयाबीन के व्यापार के बारे में है, बल्कि यह वैश्विक व्यापारिक संबंधों और राजनीतिक रणनीतियों का एक बड़ा हिस्सा भी है। दुनिया भर में व्यापारिक संबंधों की परिभाषा बदल रही है और ऐसे में अमेरिका-चीन के बीच सोयाबीन का व्यापार एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे आर्थिक गतिविधियाँ राजनीतिक रणनीतियों को प्रभावित कर सकती हैं।

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