शिक्षा

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के स्कूलों के बाहर फीस वृद्धि कानून के खिलाफ अभियान शुरू किया: सौरभ भारद्वाज ने बताया।

आम आदमी पार्टी का निजी स्कूलों की फीस वृद्धि के खिलाफ अभियान

दिल्ली में निजी स्कूलों की बढ़ती फीस को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार का नया शिक्षा कानून पूरी तरह से निजी स्कूल मालिकों के हित में है, जबकि मध्यम वर्ग और बच्चों के अभिभावकों के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो रहा है।

सौरभ भारद्वाज ने हाल ही में दिल्ली की सड़कों पर उतरकर इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने बताया कि यह कानून निजी स्कूलों को मनमानी करने की खुली छूट देता है, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। इस बीच, पार्टी ने अभिभावकों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए एक अनोखा अभियान शुरू किया है।

AAP का अनोखा अभियान

आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाने के लिए विशेषतौर पर एक अभियान चलाया है। पार्टी कार्यकर्ता दिल्ली की सभी 70 विधानसभाओं में सक्रिय हैं और वहां निजी स्कूलों के बाहर पर्चे बांट रहे हैं। इन पर्चों के माध्यम से अभिभावकों को निजी स्कूलों की फीस वृद्धि और नए शिक्षा कानून की खामियों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा, “हमारा मकसद अभिभावकों को जागरूक करना है। नया कानून 1 अप्रैल से लागू फीस वृद्धि को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं देता। यह अभिभावकों के साथ धोखा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

अभिभावकों की चिंताएं

इस अभियान के तहत अभिभावकों ने भी अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली उनके लिए बेहद बोझिल हो चुकी है। एक अभिभावक ने कहा, “हम अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए हर तरह का मेहनत कर रहे हैं, लेकिन जब फीस इतनी ज्यादा हो जाती है, तो हमें चिंता होती है।”

आम आदमी पार्टी का यह अभियान अभिभावकों के बीच गहरी छाप छोड़ रहा है। लोग पर्चों को लेकर जागरूक हो रहे हैं और शिक्षा कानून की असमानताओं पर चर्चा कर रहे हैं।

फीस वृद्धि के पीछे के कारण

निजी स्कूलों की फीस वृद्धि के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। कुछ स्कूलों का तर्क है कि उनका खर्च बढ़ गया है, और उन्हें शिक्षकीय सुविधाओं को बनाए रखने के लिए फीस बढ़ानी पड़ रही है। लेकिन अभिभावक इस तर्क को मानने को तैयार नहीं हैं। वे मानते हैं कि स्कूलों के मालिक सिर्फ अपने लाभ के लिए फीस बढ़ा रहे हैं, और इससे बच्चों की शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है।

सौरभ भारद्वाज ने इस पर भी प्रतिक्रिया दी है। वह कहते हैं, “अगर कोई फीस बढ़ाता है, तो उसे इसकी जानकारी अभिभावकों को देना अनिवार्य होना चाहिए। बिना किसी सूचना के फीस बढ़ाना पूरी तरह से गलत है।”

सरकार की भूमिका

इस पूरे मामले में सरकार की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। लोगों का कहना है कि सरकार को इस मामले में कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि अभिभावकों की समस्याओं का समाधान हो सके। बिना किसी ठोस कदम के सिर्फ कानून बनाना कोई समाधान नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले ही शिक्षा के लिए बजट बढ़ाने का आश्वासन दिया था, लेकिन उन आश्वासनों का कोई असर नहीं हो रहा। इसी बीच, दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने इस संदर्भ में कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया है और लोगों को रैली करने के लिए प्रेरित किया है।

अंतिम विचार

दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस वृद्धि ने सभी को चिंतित किया है। अभिभावक अब महसूस कर रहे हैं कि उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। आम आदमी पार्टी का यह अभियान उनके अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

यदि यह अभियान सफल होता है, तो हो सकता है कि यह न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाए।

अब देखना यह है कि क्या सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देती है या लोगों को इसी प्रकार की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। समय बताएगा कि यह सियासी संघर्ष कैसे विकसित होगा और अभिभावक अपनी आवाज को किस हद तक पहुंचा पाएंगे। इस बीच, AAP इस मुद्दे को और अधिक तूल देने की कोशिश कर रही है ताकि यह विचारधारा पुख्ता हो सके कि शिक्षा का अधिकार हर माता-पिता और बच्चे का है।

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