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जसप्रीत बुमराह के लिए रिटायरमेंट का दबाव न बनाने की सलाह पूर्व भारतीय स्टार ने दी

हाल ही में, भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया। इस दौरे के दौरान दोनों टीमों के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेली गई, जिसमें श्रृंखला 2-2 से बराबर रही। भारतीय टीम के तेज गेंदबाज जसप्रित बुमराह ने वर्कलोड प्रबंधन के कारण इस श्रृंखला में केवल 3 टेस्ट मैच खेलें। इस कारण उनकी काफी आलोचना हुई।

पूर्व भारतीय बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा कि बुमराह को भविष्य में अपने मैच खुद चुनने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि बुमराह को अपनी फिटनेस बनाए रखने के लिए हर मैच नहीं खेलना चाहिए। आकाश ने कहा, “मैं संजय मंज्रेकर के लेख को भी पढ़ रहा था जिसमें उन्होंने यह कहा कि टीम को बुमराह के लिए खुद को नहीं ढालना चाहिए, बल्कि बुमराह को टीम के अनुसार ढलना चाहिए। मुझे लगता है कि इस बारे में कई राय हो सकती हैं, पर मुझे नहीं लगता कि बुमराह सभी टेस्ट मैच खेलेंगे।”

आकाश चोपड़ा ने यह भी कहा कि बुमराह केवल चुनिंदा मैच खेलेंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह सही या गलत होने का नैतिक प्रश्न नहीं है। अगर आपके पास ऐसे स्तर का खिलाड़ी है, तो उसे हर मौके पर खेलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि बुमराह एक बल्लेबाज होते, तो ‘चुनिंदा खेल’ की नीति एक समस्या बन जाती।

आकाश ने सभी से अनुरोध किया कि वे बुमराह को जल्दी रिटायर होने के लिए मजबूर न करें। उन्होंने यह बताया कि गेंदबाजी संयोजन में बुमराह को बदलना आसान है। उन्होंने कहा, “अगर बुमराह एक बल्लेबाज होता और वह कहता कि वह केवल दो मैच खेलेगा, तो यह एक समस्या होती। तीन या चार टेस्ट सीरीज़ में गेंदबाजों को घुमाना आवश्यक है।”

उनका कहना था, “बुमराह जैसा कोई गेंदबाज नहीं है। उसे जबरदस्ती रिटायर होने के लिए मजबूर न करें। वह एक कोहिनूर हीरा है। जितना अधिक वह खेलता है, उतना ही बेहतर होगा। मुझे नहीं लगता कि वह अधिक टेस्ट क्रिकेट खेलेंगे, लेकिन जब तक वह खेलते हैं, मैं कहूँगा कि वह थक जाएंगे।”

इस प्रकार, बुमराह के करियर के विषय में चिंताएँ और उनकी फिटनेस को लेकर कई सवाल उठते हैं। सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि एक खिलाड़ी की उपलब्धि के साथ-साथ उनकी सेहत भी अहम होती है। टीम के लिए महत्वपूर्ण है कि वे अपने खिलाड़ियों का समुचित ध्यान रखें और उन्हें उन परिस्थितियों में खेलने दें जहाँ वे सबसे अच्छे प्रदर्शन कर सकें।

क्रिकेट के खेल में खिलाड़ियों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। बुमराह की तेज गेंदबाजी उनके करियर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और उनकी स्वास्थ्य और फिटनेस सुनिश्चित करना प्रत्येक प्रशंसक के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। क्रिकेट की दुनिया में ऐसे खिलाड़ियों की कमी नहीं है जो बल्लेबाजी में उत्कृष्टता दर्शाते हैं, लेकिन बुमराह जैसा तेज गेंदबाज अत्यंत दुर्लभ है।

इसलिए, आकाश चोपड़ा की बात में तथ्य है कि फास्ट बॉलर को काम का बोझ बांटने की जरूरत होती है, ताकि वह लंबे समय तक खेल में बने रह सके। इसकी उचित प्रबंधन से ही भारतीय टीम को बेहतर परिणाम मिलेगा।

आगे बढ़ते हुए, यह भी समझना जरूरी है कि क्रिकेट जैसे खेलों में मानसिक स्वास्थ्य का महत्व भी उतना ही है जितना शारीरिक स्वास्थ्य का। बुमराह की स्थिति के संदर्भ में यह स्पष्ट होता है कि उन पर पनपने वाला दबाव भी काफी होता है। जब एक खिलाड़ी अपने खेल में मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करता है, तो वह अपने प्रदर्शन में कमी लाने लगता है।

इसलिए, बुमराह जैसे खिलाड़ियों का स्वयं की क्षमताओं को समझना और सार्थक निर्णय लेना बेहद आवश्यक है। उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे उन मैचों को चुनें जिनमें वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

अंततः, क्रिकेट का यह सफर न केवल कौशल का है, बल्कि खिलाड़ियों की सेहत, मानसिक स्थिरता और उनके समग्र कल्याण का भी है। जसप्रित बुमराह जैसे खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट के लिए अनमोल हैं और उनकी सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।

इस प्रकार, टीम प्रबंधन को चाहिए कि वे बुमराह की स्थिति को गंभीरता से लें और इस दिशा में उचित कदम उठाएं। इससे न केवल बुमराह बल्कि पूरी टीम को लाभ होगा। खिलाड़ियों के फिटनेस प्रबंधन को लेकर अधिक संवेदनशीलता अपनाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों की कमी न हो।

इस मुद्दे पर अधिक बातें की जा सकती हैं, लेकिन अंतिम निष्कर्ष यही है कि खिलाड़ियों, प्रबंधन और प्रशंसकों को मिलकर टीम के हित में सही कदम उठाने होंगे ताकि भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल हो सके।

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