अंतरराष्ट्रीय

इजरायली नौसेना ने यमन की राजधानी साना के दक्षिण स्थित बिजली संयंत्र पर हमला किया।

यमन के हौथी नियंत्रित क्षेत्र में इजरायली नौसेना का नया हमला

हाल ही में, यमन की हौथी नियंत्रित राजधानी सना के दक्षिण में एक महत्वपूर्ण घटना घटी। इजरायली नौसेना ने एक पावर प्लांट पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप वहाँ बड़े विस्फोट हुए और जनरेटर बंद हो गए। स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला बिना किसी आधिकारिक जानकारी के हुआ, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस हमले ने क्षेत्र में कई जनसामान्य को प्रभावित किया है।

हौथियों का आरोप

हौथी नेताओं ने इस हमले के लिए ‘आक्रामकता’ को जिम्मेदार ठहराया है। यद्यपि इस हमले पर इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, यह दूसरी बार है जब इजरायली नौसेना ने यमन को निशाना बनाया है। इससे पहले, जून में, हौथी नियंत्रित होडेडा पोर्ट पर भी हमला किया गया था। यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में तनाव और जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं।

हाजिफ़ पावर स्टेशन का लक्ष्य

आर्मी रेडियो के अनुसार, इजरायली नौसेना ने विशेष रूप से यमन के हाजिफ़ पावर स्टेशन को लक्ष्य बनाया। यह हमला होडेडा पोर्ट पर हुए हमले से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। रिपोर्ट के अनुसार, सना में कम से कम दो विस्फोट हुए हैं, जिनका वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक इमारत और उसके आस-पास के क्षेत्र में आग और धुएं का नजारा देखा जा सकता है।

हौथियों का इजरायल पर लगातार हमला

हाल के महीनों में, हौथी समूह ने इजरायल पर कई हमले किए हैं। इसके प्रतिक्रिया स्वरूप, इजरायल भी हौथियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश कर रहा है। यमन में स्थित ये समूह इजरायल की ओर मिसाइलें भी फायर कर रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश को अपने रास्ते में ही नष्ट कर दिया गया है। यह स्पष्ट है कि दोनों पक्षों के बीच तनाव ने क्षेत्र की स्थिति को और भी अधिक जटिल बना दिया है।

अमेरिका और ब्रिटेन की भूमिका

अमेरिका और ब्रिटेन ने भी यमन में हौथियों के खिलाफ पहले हमले किए थे। मई 2025 में, अमेरिका ने हौथियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत, शिपिंग हमलों को रोकने के बदले में बमबारी अभियानों को खत्म करने का निर्णय लिया गया था। इस बीच, हौथियों ने यह स्पष्ट किया था कि इजरायल इस समझौते का हिस्सा नहीं है।

क्षेत्रीय सुरक्षा का संकट

इस प्रकार की घटनाएं यमन के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में भी सुरक्षा संकट को बढ़ावा दे रही हैं। इजरायल और हौथियों के बीच चल रहे संघर्ष ने न केवल यमन में, बल्कि पूरी क्षेत्रीय राजनीति में भी अप्रत्यक्ष प्रभाव डाला है। वैश्विक शक्तियों का इस संघर्ष में हस्तक्षेप एवं जिम्मेदारी का एहसास बेहद महत्वपूर्ण है।

वित्तीय सुरक्षा का मुद्दा

यमन की वर्तमान स्थिति ने वित्तीय सुरक्षा के मुद्दे को भी जन्म दिया है। हमले के कारण पावर प्लांट के बंद होने से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आपूर्ति पर बुरा असर पड़ा है। यह स्थिति नागरिकों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण बनाती है, जो पहले से ही युद्ध और अस्थिरता के कारण परेशान हैं।

आंकड़ों के अनुसार, यमन के अधिकांश नागरिक अभी भी बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं से वंचित हैं। ऐसे में, इजरायली हमलों ने उनकी स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। इसी प्रकार की घटनाओं से ये लोग आत्म-रक्षा की भावना में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।

संघर्ष की संभावनाएं

हौथी समूह का यह दावा कि इजरायल की आक्रामकता उन्हें निशाना बना रही है, क्षेत्र में और अधिक संघर्ष की संभावनाएं पैदा करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों पक्षों के बीच कोई संवाद या समझौता संभव नहीं है, जो अंततः यमन में मानवीय संकट को और भी बढ़ा सकता है।

इससे पहले, जब हौथी समूह ने इजरायल पर हमले किए थे, उसके ऊपर इजराइल ने जवाबी हमला किया था। इसका परिणाम यमन के नागरिकों पर बुरा प्रभाव डालता है, जो पहले से ही युद्ध और संकट का सामना कर रहे हैं।

विश्व समुदाय की जिम्मेदारी

इस संकट के बीच, वैश्विक समुदाय की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए। यदि यह स्थिति और बिगड़ती है, तो यमन और उसके नागरिकों की दशा और भी खराब हो जाएगी।

संक्षेप में, यमन में इजरायली नौसेना का हमला एक गंभीर घटना है, जिसने न केवल यमन के राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि क्षेत्र की स्थिरता को भी खतरे में डाल दिया है। क्षेत्रीय और वैश्विक ताकतों को इस संकट को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए ताकि यमन में स्थाई शांति स्थापित हो सके।

निष्कर्ष

यमन की स्थिति हमें यह सिखाती है कि युद्ध और अस्थिरता का प्रभाव केवल एक देश पर नहीं, बल्कि पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर पड़ता है। इजरायली नौसेना का यह हमला एक चेतावनी है कि क्षेत्रीय तनाव बढ़ते जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए उत्तरदाताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे सच्चे संवाद और सहयोग के माध्यम से इस संकट को समाप्त करने का प्रयास करें।

इस प्रकार, यमन में हालात को बेहतर बनाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है, ताकि वहाँ के लोगों को एक सुरक्षित और स्थिर जीवन जीने का अवसर मिल सके। यमन की समस्याएं केवल स्थानीय नहीं हैं, बल्कि वे एक वैश्विक संकट के रूप में उभरी हैं, जिसके निवारण के लिए विश्व समुदाय को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।

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