महिलाओं पर युद्ध का बोझ, यौन हिंसा के मामलों में 25% की वृद्धि; इजरायल और रूस का पहला संदर्भ।

विश्वभर में यौन हिंसा: यूएन की रिपोर्ट और संगठनों की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिया भर में यौन हिंसा के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। विशेष रूप से, अफ्रीकी गणराज्य, कांगो, हैती, सोमालिया और दक्षिण सूडान जैसे देशों में इन अपराधों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है। रिपोर्ट में रूस और इजरायल को चेतावनी दी गई है, जिसमें उन्हें यौन हिंसा के मामलों पर गंभीरता से विचार करने के लिए कहा गया है। यह पहली बार है जब यूएन ने इन दोनों देशों को इस मुद्दे के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
यौन हिंसा में महिलाओं और लड़कियों का अत्यधिक शोषण
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक वर्ष में दुनिया भर में 25 प्रतिशत तक यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि हुई है। 1 साल से लेकर 75 साल की आयु की महिलाओं के साथ यह हिंसा हो रही है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जो यह दर्शाता है कि युद्ध और संघर्ष केवल सामरिक दृष्टिकोण से ही नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि महिलाओं और लड़कियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं।
यूएन की चेतावनी: रूस और इजरायल पर ध्यान
यूएन ने अपनी रिपोर्ट में पहली बार रूस और इजरायल को चेतावनी देते हुए कहा है कि उन्हें यौन हिंसा के मामलों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। विशेष रुप से, इजरायली सेना और सुरक्षा बलों पर आरोप है कि वे जेलों और हिरासत में कैद फलस्तीनियों के खिलाफ यौन शोषण कर रहे हैं। दूसरी ओर, रूसी सेना और संबद्ध सशस्त्र समूहों पर आरोप हैं कि वे यूक्रेनी युद्धबंदियों के खिलाफ यौन अत्याचार कर रहे हैं।
काली सूची में संगठनों की स्थिति
रिपोर्ट में 63 सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को काली सूची में डाला गया है, जो संघर्ष के समय दुष्कर्म और यौन हिंसा के लिए जिम्मेदार बताए गए हैं। इनमें हमास जैसे आतंकवादी संगठन भी शामिल हैं। महासचिव ने कहा कि 70 प्रतिशत से अधिक सूचीबद्ध पार्टियों ने पिछले पांच वर्षों में यौन हिंसा को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे इसके निरंतर बढ़ने की संभावना बनी हुई है।
पुरुषों और लड़कों के खिलाफ यौन हिंसा
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि यौन हिंसा केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है। पुरुषों और लड़कों के खिलाफ भी ऐसे मामलों में वृद्धि हो रही है, जिसमें दुष्कर्म, दुष्कर्म की धमकी, बिजली का झटका देना और जननांगों पर प्रहार करना शामिल है। यह एक सामान्य धारणा को चुनौती देता है कि यौन हिंसा केवल महिलाओं का मुद्दा है।
वैश्विक दृष्टिकोण
इस विषय पर वैश्विक चर्चा आवश्यक है। यौन हिंसा केवल एक समाजिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इस समस्या का समाधान करने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। सिर्फ सजा या प्रतिबंध नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट हमें एक नई दिशा की ओर ले जाती है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि यौन हिंसा के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होकर कैसे काम किया जाए। हमें सभी स्तरों पर इस समस्या को समझने और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों और लड़कों सभी को इस हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है, और यह समाज के हर हिस्से को प्रभावित करता है। इसलिए, यह समय है कि हम सामूहिक रूप से इस समस्या का समाधान निकालें।
यह रिपोर्ट न केवल एक चेतावनी है, बल्कि यह एक अवसर भी है कि हम एकजुट होकर यौन हिंसा की समाप्ति के लिए काम करें, ताकि भविष्य की पीढ़ियों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का मौका मिले।