राजनीतिक

‘गांधी परिवार का चुनावी अनियमितताओं का इतिहास रहा..’, भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों से चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया की आवश्यकता और भी स्पष्ट हो गई है। पार्टी की प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गांधी परिवार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता की लालच में इस परिवार ने पीढ़ियों तक चुनावी प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ की, जिसमें रिश्वत, दबाव और उन मतपत्रों को नष्ट करना शामिल है जो कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ डाले गए थे।
शेखावत ने सवाल उठाया कि भारतीय नागरिकता मिलने से तीन साल पहले ही (कांग्रेस नेता) सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची में कैसे दर्ज हो गया। उन्होंने कहा कि इस पर गांधी परिवार और कांग्रेस की चुप्पी खुद में कई सवाल खड़े करती है। उन्होंने कहा, मैं कांग्रेस से फिर पूछता हूं कि उसने मतदाता सूची को कैसे प्रभावित किया और सोनिया गांधी को नागरिक बनने से पहले ही मतदाता बना दिया। यह सीधे-सीधे भारत की संप्रभुता को चुनौती देने जैसा है और सांविधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।
जब उनसे राहुल गांधी की उस प्रेस कांफ्रेंस के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक की एक विधानसभा सीट में मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी का दावा किया था, तो शेखावत ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने अनजाने में ही एसआईआर प्रक्रिया की जरूरत को और भी मजबूत कर दिया है। शेखावत ने कहा कि ऐसी गड़बड़ियों की जांच जरूर होनी चाहिए, लेकिन जब इसकी कार्रवाई होती है तो राहुल गांधी दिखावे के आंसू बहाते हैं और उसका विरोध करते हैं। उन्होंने राहुल पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, राहुल गांधी ने अपनी बातों से एसआईआर प्रक्रिया का समर्थन किया है और इसकी आवश्यकता को और पुष्ट किया है। शेखावत ने राहुल गांधी पर सर्जिकल स्ट्राइक और कोरोना के टीके को लेकर झूठी कहानी गढ़ने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ऐसे मौकों पर जब देश को एकजुटता की जरूरत होती है, राहुल गांधी ऐसे बयानों से भारत विरोधी ताकतों को मजबूत करते हैं।
उन्होंने कहा कि जनता ने कई बार झूठी कहानियों का जवाब वोटों के जरिए दिया है और आज राहुल गांधी राजनीति के हाशिये पर हैं। शेखावत ने कुछ मीडिया रिपोर्ट और सरकारी दस्तावेजों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि 1951-52 में पहले आम चुनावों से ही कांग्रेस ने चुनावी गड़बड़ियों का सहारा लिया है। उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे।उन्होंने कहा कि 1972 में कांग्रेस नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अबुल कलाम आजाद को रामपुर लोकसभा सीट से इस तरह जिताया गया कि तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार के वोट आजाद को ट्रांसफर कर दिए गए। वहीं, बी. आर. अंबेडकर को हराने के लिए प्रशासन ने उनके 73,000 से ज्यादा वोट खारिज कर दिए।
उन्होंने दावा किया कि अमेठी लोकसभा सीट, जहां से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी चुनाव लड़े थे, वहां भी चुनावी हेराफेरी के कारण कई बूथों पर दोबारा मतदान हुआ था। उन्होंने याद दिलाया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1975 में इंदिरा गांधी की 1971 की चुनावी जीत को अमान्य घोषित कर दिया था, क्योंकि उन्होंने अनैतिक चुनावी तरीके अपनाए थे। इसी फैसले के बाद उन्होंने देश में आपातकाल लागू किया था।
शेखावत ने कहा कि एक समय पर चुनावी धांधली आम बात थी और कई राज्यों में रिश्वत और हेराफेरी के कारण एक समानांतर अर्थव्यवस्था तक पनप गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 1951 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस सरकार ने सुनिश्चित किया कि नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार बिना विरोध के जीत जाएं। इसके लिए खासकर प्रजा परिषद के उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए थे।

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