वृंदावन में रामभद्राचार्य महाराज से मिले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
बंद कमरे में 15 मिनट बात की, सनातन यात्रा के लिए साधु-संतों को जोड़ रहे

मथुरा। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री मथुरा के वृंदावन पहुंचे। उन्होंने यहां अपने गुरु तुलसी पीठाधीश्वर पद्म विभूषण रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज से मुलाकात की। दोनों लोगों ने बंद कमरे में करीब 15 मिनट तक आध्यात्मिक चर्चा की।
बताया जा रहा है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सनातन यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा में अधिक से अधिक साधु-संत जुड़े इसको लेकर वह लगातार लोगों से मिल रहे हैं। इसी यात्रा को लेकर उन्होंने अपने गुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज से बात की। फिर वह साधु-संतों से मिले। उनके दर्शन कर आशीर्वाद लिया।
दरअसल भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 7 से 16 नवंबर तक पद यात्रा निकालेंगे। इसकी शुरूआत वह दिल्ली से करेंगे। यात्रा का समापन वृंदावन में होगा। रामभद्राचार्य महाराज छत्तीसगढ़ कुंज तुलसी पीठ पर बुधवार से श्री मद्भागवत कथा कर रहे हैं। करीब 40 मिनट तक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री वृंदावन रहे।
वृंदावन में परिक्रमा मार्ग स्थित छत्तीसगढ़ कुंज तुलसी कुंज में स्थित प्राचीन ठाकुर मथुरामल्ल जी भगवान के परिसर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हुआ है। साधु संत और धमार्चार्यों की मौजूद रहे। साकेत वासी महंत रामबली दास की पावन स्मृति में तुलसी पीठाधीश्वर पद्म विभूषण जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा एवं जन्माष्टमी महोत्सव का शुभारंभ किया।
कथा के शुभारंभ में ही रामभद्राचार्य महाराज के शिष्य और बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पहुंचे। व्यास पीठ पर आचार्य को बालाजी की प्रतिमा भेंटकर शाष्टांग प्रणाम कर आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर श्री रामभद्राचार्य जी ने उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्रदास और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को राम और श्याम की उपाधि देते हुए कहा कि यह दोनों मिलकर सनातन की पताका को लहराने का काम करेंगे। आचार्य चरण वृदावली का पाठ तुलसी पीठ चित्रकूट के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र ने किया।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 7 से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा करने जा रहे हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर की जाने वाली इस पदयात्रा की व्यापक तैयारी के लिए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके सहयोगी तैयारियां कर रहे हैं।
इस यात्रा के लिए बताया जा रहा है कि जल्द ही वृंदावन में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री साधु-संत, मंदिर के गोस्वामियों और ब्रजवासियों के साथ एक बड़ी बैठक करेंगे।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने विस्तार से वर्णित करते हुए कहा कि भागवत सप्ताह का अर्थ सात दिन की कथा होनी चाहिए और भागवताचार्य के भीतर सात गुण होने चाहिए। मैं प्रयास करूंगा कि सभी गुण मेरे भीतर विद्यमान हों।
भगवान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य जहां निरंतर विद्यमान हों, उन्हें भगवान कहते हैं। क्योंकि भगवान को गुण छोड़ नहीं सकते, वह निरंतर भगवान में ही रहते हैं।
स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा- मैं संतो की निंदा नहीं करता, पर जब कोई शास्त्र से विरत होता है तो उसका विरोध करता हूं। आजकल कुछ लोग भगवान को नहीं, बल्कि स्वयं की पूजा करा रहे हैं, यह गलत है।
उद्धव जी ने श्री कृष्ण से कहा आप चले जा रहे हैं , भक्तों का क्या होगा, भगवान ने अपना पूरा तेज भागवत में रख दिया। भगवान की वांग्मय मूर्ति है भागवत, जिसके श्रवण मात्र से धुंधकारी जैसे राक्षस प्रवृत्ति के व्यक्ति सहित परीक्षित जी को भी भगवत रस पान करने से मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए श्रीमद्भागवत की कथा सुनो और उसका रसपान करो।
कथा में सुदामा कुटी के संत सुतीक्षण दास,हेमकांत शरण,मदन मोहन दास,रघुवर दास,अंशुल,मनोज त्यागी,रोहित रिछारिया,सनत मिश्रा,परम हंसदास महाराज तपस्वी छावनी अयोध्या,अशोक बाहेती , विवेक उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।