ब्रिटेन के साथ एफटीए के पहले साल भारत को होगा 4060 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान, जीटीआरआई का दावा

नई दिल्ली । ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के पहले वर्ष में भारत को 4,060 करोड़ रुपये के सीमा शुल्क राजस्व का नुकसान होने की उम्मीद है, क्योंकि विभिन्न वस्तुओं पर शुल्क कम या समाप्त कर दिया गया है। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सोमवार को ब्रिटेन से वर्तमान आयात आंकड़ों का हवाला देकर यह बात कही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 वर्ष तक, जैसे-जैसे टैरिफ उन्मूलन चरणबद्ध तरीके से व्यापक रूप से लागू होगा, वित्त वर्ष 2025 के व्यापार की मात्रा के आधार पर वार्षिक घाटा बढ़कर 6,345 करोड़ रुपये या लगभग 574 मिलियन ब्रिटिश पाउंड तक पहुंचने का अनुमान है।
जीटीआरआई ने कहा है कि 24 जुलाई को हस्ताक्षरित भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के सीमा शुल्क राजस्व में कमी आएगी, क्योंकि विभिन्न वस्तुओं पर शुल्क कम कर दिया गया है या समाप्त कर दिया गया है। भारत ने 2024-25 में ब्रिटेन से 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का सामान आयात किया। इन आयातों में औद्योगिक उत्पादों का बड़ा हिस्सा शामिल है और इन पर 9.2 प्रतिशत का भारित औसत टैरिफ लगता है।
व्हिस्की और जिन जैसी वस्तुओं को छोड़कर, अधिकांश कृषि उत्पादों को, जिन पर 64.3 प्रतिशत का बहुत अधिक औसत टैरिफ लगता है, टैरिफ कटौती से बाहर रखा गया है। इसमें कहा गया है कि भारत ने ब्रिटेन से आयातित वस्तुओं के मूल्य के 64 प्रतिशत पर टैरिफ को तत्काल समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है।
कुल मिलाकर, भारत ने 85 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर टैरिफ समाप्त कर देगा और 5 प्रतिशत टैरिफ लाइनों या उत्पाद श्रेणियों पर टैरिफ कम कर देगा। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “इन कारकों के आधार पर, समझौते के पहले वर्ष में भारत का राजस्व नुकसान 4,060 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।”
उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में ब्रिटेन ने भारत से 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर की वस्तुओं का आयात किया, जिस पर भारित औसत आयात शुल्क 3.3 प्रतिशत था। व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) के तहत, ब्रिटेन ने 99 प्रतिशत भारतीय आयातों पर टैरिफ समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “इससे ब्रिटेन को 375 मिलियन ब्रिटिश पाउंड (या 474 मिलियन अमेरिकी डॉलर या 3,884 करोड़ रुपये) का अनुमानित वार्षिक राजस्व नुकसान होगा, जो वित्त वर्ष 2025 के व्यापार आंकड़ों पर आधारित है। जैसे-जैसे ब्रिटेन को भारतीय निर्यात बढ़ेगा, समय के साथ राजकोषीय प्रभाव बढ़ने की संभावना है।” इस समझौते के लागू होने लगभग एक वर्ष का समय लग सकता है क्योंकि इसके लिए ब्रिटेन की संसद से अनुमोदन की आवश्यकता होगी।