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दबाव में झुके ट्रंप, एपस्टीन मामले से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक करने को कहा; उपराष्ट्रपति बोले- सब बकवास है

वॉशिंगटन । अमेरिकी राष्ट्रपति कुख्यात अरबपति यौन तस्कर जेफ्री एपस्टीन के मामले को लेकर लगातार आलोचना झेल रहे थे। दरअसल आरोप है कि ट्रंप ने एपस्टीन मामले से जुड़े कुछ रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक नहीं होने दिया था। हालांकि अब लगता है कि लगातार हो रही आलोचना के बाद ट्रंप दबाव के आगे झुक गए हैं। यही वजह है कि अब ट्रंप ने एपस्टीन मामले से जुड़े रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने को कहा है। ट्रंप ने कहा कि ग्रैंड ज्यूरी द्वारा मंजूर सभी गवाही रिकॉर्ड सार्वजनिक किए जाएं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘जेफ्री एपस्टीन मामले को पर्याप्त चर्चा मिल चुकी है। अब मैंने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को कहा है कि वे ग्रैंड ज्यूरी की अनुमति से गवाही संबंधी दस्तावेज सार्वजनिक करें। यह एक घोटाला है, जिसे डेमोक्रेट्स नेताओं ने चर्चा में बनाए रखा, लेकिन अब इसका अंत होना चाहिए।’ ट्रंप का यह बयान वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट और उस पर हुए विवाद के बाद सामने आया है। दरअसल वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि ट्रंप ने साल 2003 में जेफ्री एपस्टीन के 50वें जन्मदिन पर उसे अश्लील पत्र लिखा था। हालांकि ट्रंप ने वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा जारी किए गए इस कथित पत्र को फर्जी करार दिया है और वॉल स्ट्रीट जर्नल के खिलाफ मुकदमा दायर करने की धमकी भी दी है। इस मुद्दे पर अमेरिका में खूब विवाद हो रहा है।
जेफ्री एपस्टीन कुख्यात यौन तस्कर रहा, जिसके अमेरिका की बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध थे। एपस्टीन पर बाल यौन शोषण के गंभीर आरोप थे और उसने साल 2019 में जेल में आत्महत्या कर ली थी। हालांकि एपस्टीन की मौत के इतने साल बाद भी उसे लेकर विवाद खत्म नहीं हुआ है।
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी राष्ट्रपति ट्रंप के बचाव में उतर आए हैं। जेडी वेंस ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को बकवास बताया। जेडी वेंस ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि मीडिया समूहों को ऐसे खबरें प्रकाशित करने के लिए खुद पर शर्म आनी चाहिए। वेंस ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और ये भी पूछा कि इस पत्र का स्त्रोत क्या है। वेंस ने सवाल किया कि पहले ये पत्र सामने क्यों नहीं आया और उन्होंने दावा किया कि कथित पत्र की जो भाषा है, वह डोनाल्ड ट्रंप की नहीं लगती। उपराष्ट्रपति ने पत्रकारीय नैतिकता पर भी सवाल उठाए।

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