बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने कटिहार को बनाया भाजपा का गढ़

कटिहार । बिहार में साल के अंत तक चुनाव होने हैं। बिहार चुनाव से जुड़ी हमारी खास सीरीज सीट का समीकरण सीरीज की 16वीं कड़ी में आज हम आपको कटिहार विधानसभा सीट के बारे में बताएंगे। कटिहार सीट से पिछले 20 साल से भाजपा का कब्जा है। इस सीट से मौजूदा विधायक तार किशोर प्रसाद हैं। प्रसाद 2020 में जीत के बाद राज्य के उप मुख्यमंत्री बने थे। 2022 में नीतीश कुमार के पाला बदलने तक प्रसाद इस पद पर रहे।
बिहार के 38 जिलों में से एक जिला कटिहार भी है। यह जिला 3 अनुमंडल और 16 ब्लॉक में विभाजित है। इस जिले में कुल सात विधानसभा सीटें हैं। इनमें कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी (एसटी), बैरी, कोढ़ा (एससी) शामिल हैं। आज बात कटिहार विधानसभा सीट के बारे में करते हैं। आजादी के बाद इस सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था।
1957 के चुनाव में कटिहार विधानसभा सीट से दो विधायक चुने गए। एक अनुसूचित जाति (एससी) से और दूसरे समान्य वर्ग से। जीतने वाले दोनों विधायक कांग्रेस के थे। जो दो चेहरे विधानसभा पहुंचे उनमें बाबूलाल मांझी और सुखदेव नारायण सिन्हा शामिल थे।
1962 के विधानसभा चुनाव में यह सीट सामान्य हो गई। इस चुनाव में कटिहार सीट से एक बार फिर कांग्रेस के सुखदेव सिन्हा को जीत मिली। उन्होंने जनसंघ के जगबंधु अधिकारी को 6,996 वोट से हराया।
दो बार के विधायक सुखदेव सिन्हा को 1967 के चुनाव में हार सामना करना पड़ा। भारतीय जनसंघ के जगबंधु अधिकारी ने प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के एम.जे. हक को 7,720 वोट से हराया। वहीं, सुखदेव तीसरे नंबर पर रहे।
1969 विधानसभा चुनाव में लोकतांत्रिक कांग्रेस के सत्य नारायण बिस्वास को जीत मिली। वहीं दूसरी नंबर पर कांग्रेस की पार्वती देवी रहीं। 1972 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राजकिशोर प्रसाद सिंह ने 5,188 वोट से जीत दर्ज की। उन्हें कुल 18,315 वोट मिले थे। इस चुनाव में पूर्व विधायक सत्य नारायण बिस्वास निर्दलीय चुनाव लड़े थे। वह 13,127 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे। 1977 के चुनाव मेंं जनता पार्टी के जगबंधु अधिकारी कटिहार के विधायक बने। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राज किशोर को 20,904 वोट से हराया।
1980 में कटिहार सीट से कांग्रेस को जीत मिली। इसके बाद 1985 में भी कटिहार सीट कांग्रेस के खाते में गई। 1980 में यहां से कांग्रेस के सीताराम चमरिया को 1644 वोट से जीत मिली। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जगबंधु अधिकारी को हराया। सीताराम को 20,282 और जगबंधु को 18,838 वोट मिले थे। 1985 के चुनाव में कांग्रेस के सत्य नारायण प्रसाद को 15,370 वोट से जीत मिली। वहीं जगबंधु अधिकारी दूसरे नंबर पर रहे।