नारनौल में कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य ने किए प्रवचन

नारनौल । महेंद्रगढ़ के नारनौल में प्रसिद्ध कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि जो भगवान के द्वारा बनाए गए विधान को चैलेंज करता है, उसे उसका दंड भोगना पड़ता है। इसलिए भगवान ने जो तुमको दिया है, उससे खुश रहो। वे सोमवार रात को यहां अग्रवाल सभा भवन में आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव में प्रवचन कर रहे थे।
राजेश्वरी परिवार की ओर से आयोजित इस महोत्सव में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि त्रेता युग में कर्ण ने स्वार्थ के वशीभूत होकर भगवान के बनाए गए विधान को चैलेंज किया, कर्ण ने अपने दोस्त दुर्योधन का साथ दिया तथा द्रोपदी का जब चीरहरण हो रहा था तो उसको मना करने के बजाय अपने दोस्त का साथ दिया व हास्य बनाया। जिसका नतीजा उसे भुगतना पड़ा तथा वह बहुत ही बुरी मौत मारा गया। इसी प्रकार इस के युग के वर्ष 2025 में सोनम जैसी महिला ने प्रेमी से अपने पति की हत्या करवाई।
उन्होंने कहा कि सोनम ने विधि के द्वारा बनाए गए विधान को चैलेंज किया। विधि ने तो राजा को उसका पति बनाया था, मगर उसने अपने प्रेमी का साथ दिया तथा पति को मरवा दिया। जिसके बाद अब उसका जीवन नरक हो गया है। उसको न पति मिला, न ही प्रेमी। उसने अपने जीवन को ही नहीं, अपने पूरे परिवार का जीवन नरक बना दिया। उसका भाई भी किसी के सामने नजर उठाकर नहीं देख सकता। इसलिए हमें भगवान के बनाए गए विधान को चैलेंज न करते हुए भगवान ने अपने जैसा दिया है, उस हिसाब से ही जीवन गुजारना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोग अपने बेटों में विश्वास रखते हैं तथा भगवान से विश्वास खत्म कर लेते हैं। जब बेटा पैदा होता है तो सोचते हैं कि वह बुढ़ापे में उसका सहारा बनेगा। इसलिए वे सबकुछ छोड़कर अपने बेटे के लालन- पालन तथा उसको बड़ा करने में लग जाते हैं, मगर बड़ा होने के बाद उनका बेटा उनके विश्वास को तोड़ देता है। जिसके बाद लोग भगवान की शरण में आते हैं। भगवान पर विश्वास करते हैं। अगर वे पहले ही बेटे से ज्यादा भगवान पर विश्वास करते तो उनके साथ ऐसा नहीं होता।
उन्होंने कहा कि लोग भगवान पर भरोसा कम रखते हैं तथा चिंता ज्यादा रखते हैं। यदि चिंता छोड़कर भगवान पर भरोसा ज्यादा रखें तो भगवान उनकी चिंताएं अपने आप ही दूर कर देगा। उन्होंने बताया कि भगवान अपने भक्तों की बहुत सुनते हैं। भक्त प्रहलाद को अपने भगवान पर पूरा भरोसा था, उसे किसी बात की चिंता नहीं थी। इसलिए समय-समय पर भगवान अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए आए। प्रहलाद को भरोसा था कि खंभे में भी उसके भगवान हैं तो भगवान खंभे के अंदर से निकले। इसलिए लोगों को चिंता छोड़कर भगवान पर भरोसा रखना चाहिए।
आचार्य ने महाभारत की कथा सुनाते हुए कहा कि अर्जुन को भगवान पर भरोसा था। एक बार भीष्म पितामह ने योजना बना ली कि वे अगले दिन युद्ध में सभी पांडवों का वध कर देंगे। जिस पर रात के समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि भीष्म पितामह कह रहे हैं कि वे उनके पूरे परिवार को खत्म कर देंगे तथा तुम्हें नींद आ रही है। इस बारे में सोचो तथा कोई योजना बनाओ, तब अर्जुन ने कहा कि अब रात को सोने दो सुबह कुछ योजना बना लेंगे, तब कृष्ण ने पूछा कि तुम्हें इस बात की चिंता नहीं हो रही तो अर्जुन ने जवाब दिया कि जिनकी चिंता करने वाला भगवान स्वयं हो, उन्हें भला किस बात की चिंता।
अंत में आचार्य ने इतनी कृपा सांवरे बनाए रखना भजन सुनाकर अपनी कथा का समापन आरती के साथ किया। इस मौके पर राजेश्वरी परिवार के अनेक सदस्य मौजूद रहे।