आईएसएस पर अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने पूरा किया एक सप्ताह, छुट्टी के दिन परिवार से की बात
फ्लोरिडा। निजी स्पेस कंपनी एक्सिओम के एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर (आईएसएस) गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक सप्ताह पूरा कर लिया है। इस दौरान उन्होंने यहां कई शोध किए हैं। बुधवार को छुट्टी के दिन शुभांशु ने पृथ्वी पर अपने परिजनों से बात की। इसके बाद शोध कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए तैयारी की।
एक्सिओम स्पेस ने अपने आधिकारिक ब्लॉग में कहा एक्सिओम मिशन 4 (एक्स -4) चालक दल के कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, मिशन विशेषज्ञ स्लावोज सुवे उज्नानस्की-विस्नीवस्की और टिबोर कापू ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक पूरा सप्ताह बिता दिया है। 26 जून को डॉकिंग के बाद से बुधवार के अंत तक अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी के चारों ओर लगभग 113 परिक्रमाएं पूरी कर चुके हैं। बुधवार को चालक दल ने आॅफ-ड्यूटी दिन का आनंद लिया। इससे उन्हें रिचार्ज करने और पृथ्वी पर परिवार और दोस्तों से जुड़ने का मौका मिला। गुरुवार को चालक दल वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के व्यस्त कार्यक्रम में वापस आ जाएंगे। यह सप्ताहांत तक जारी रहेगा।
कंपनी ने कहा कि केवल सात दिनों में अंतरिक्ष यात्रियों ने पहले ही वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पैगी अंतरिक्ष में ट्यूमर कोशिकाओं के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए माइक्रोग्रैविटी का उपयोग करके कैंसर अनुसंधान कर रही हैं, जो मेटास्टेटिक कैंसर के लिए नए चिकित्सीय लक्ष्य विकसित करने में मदद कर रहा है।
वहीं शुभांशु शुक्ला माइक्रोग्रैविटी के शैवाल पर विकास और आनुवंशिक व्यवहार पर शोध कर रहे हैं। वे यह भी शोध कर रहे हैं कि टार्डीग्रेड्स (एक तरह का छोटा जीव, जो कि चरम स्थितियों में भी खुद को सामान्य रख सकता है) अंतरिक्ष के खतरनाक माहौल में कौन से जीवाणु सुरक्षित रह सकते हैं। इसके अलावा वे शून्य गुरुत्वाकर्षण में इंसानों में मांस कैसे कम होता है और इससे निपटा कैसे जा सकता है, इस पर काम कर रहे हैं। आमतौर पर लंबी अवधि के मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों को मसल एट्रोफी यानी मांस घटने की शिकायत आती है।
जबकि सुवे अंतरिक्ष स्टेशन पर ध्वनि के स्तर को ट्रैक करने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किए गए पहनने योग्य ध्वनि निगरानी उपकरण का परीक्षण कर रहे हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष यात्री के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है और भविष्य के अंतरिक्ष यान के डिजाइन को सूचित कर सकती है। इस बीच, टिबोर हंगरी द्वारा विकसित डोसिमीटर का उपयोग करके विकिरण के स्तर की निगरानी कर रहे हैं।
कंपनी ने कहा कि यह मिशन अपने अंतरराष्ट्रीय महत्व के लिए ऐतिहासिक है। यह पहली बार है जब भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष स्टेशन पर एक मिशन का संचालन किया है। यह चार दशकों से अधिक समय के बाद इन देशों की मानव अंतरिक्ष उड़ान में वापसी का प्रतिनिधित्व करता है। एग्जियोम मिशन अंतरिक्ष में विज्ञान की प्रगति को आगे बढ़ा रहा है और खोजकतार्ओं की नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है। एक दिन के आराम के बाद चालक दल अपने पैक्ड रिसर्च और आउटरीच एजेंडा को फिर से शुरू करने के लिए तैयार हो जाएगा।
अरबपति कारोबारी एलन मस्क के स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने 25 जून को दोपहर 12:01 बजे एक्सिओम-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से आईएसएस के लिए सफल उड़ान भरी थी। प्रक्षेपण के 10 मिनट बाद ही अंतरिक्ष यात्रियों ने पृथ्वी का चक्कर काटना शुरू कर दिया।
लखनऊ निवासी शुभांशु के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री पूर्व मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कपू और पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की भी आईएसएस के लिए रवाना हुए हैं। इस सफल प्रक्षेपण ने भारत के साथ ही पोलैंड और हंगरी के भी अंतरिक्ष यात्रियों की अंतरिक्ष में वापसी को साकार किया। यह अंतरिक्ष यान करीब 28.5 घंटे की यात्रा के बाद 26 जून बृहस्पतिवार को भारतीय समय के अनुसार शाम करीब 4:05 बजे आईएसएस से जुड़ा।