अप्रैल-जून तिमाही में विदेशी फंड प्रवाह घटा, रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश 33 प्रतिशत लुढ़का
नई दिल्ली । वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते अप्रैल-जून 2025 के दौरान भारत में रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश में गिरावट आई है। इसका मतलब है कि देश में रियल एस्टेट सेक्टर (जैसे मॉल, आॅफिस, हाउसिंग प्रोजेक्ट्स आदि) में बड़े वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जाने वाला निवेश पहले की तुलना में कम हो गया है। रियल एस्टेट परामर्शदाता कोलियर्स की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-जून 2025 में संस्थागत निवेश 33 प्रतिशत घटकर 1.69 अरब डॉलर रह गया। पिछले साल इसी अवधि में यह 2.53 अरब था। इस गिरावट की मुख्य वजह विदेशी फंडिंग में लगभग 50 प्रतिशत की कमी रही, जो 2,046.8 मिलियन डॉलर से घटकर 1,048.4 मिलियन डॉलर रह गई।
हालांकि, घरेलू निवेशकों ने बाजार में भरोसा जताया और अप्रैल-जून तिमाही में 32 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 642.8 मिलियन डॉलर का निवेश किया। यह पिछले साल की समान अवधि में 486.5 मिलियन डॉलर था। कोलियर्स इंडिया के सीईओ, बादल याग्निक ने कहा कि घरेलू पूंजी अब भारत के रियल एस्टेट निवेश में एक प्रमुख चालक बनकर उभरी है। 2021 में कुल निवेश में इसकी हिस्सेदारी 16 प्रतिशत थी। यह 2024 में बढ़कर 34 प्रतिशत हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद 2025 की पहली छमाही में घरेलू निवेश का हिस्सा कुल निवेश का 48 प्रतिशत रहा। इससे कुल निवेश 3 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच सका।
आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-जून 2025 के दौरान कुल संस्थागत निवेश 15 प्रतिशत घटकर 2,998.10 मिलियन अमरीकी डॉलर रहा। यह एक साल पहले इसी अवधि में 3,528.50 मिलियन अमरीकी डॉलर था। इस दौरान विदेशी निवेश 1,570.6 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले साल के 2,593.8 मिलियन डॉलर से काफी कम है। वैश्विक निवेशक उभरते व्यापक आर्थिक परिदृश्यों, ऋण प्रवाह और महंगाई के दबावों के बीच सतर्क बने हुए हैं। इसके विपरीत, घरेलू निवेशकों ने 1,427.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जो कि 2024 की पहली छमाही के 934.7 मिलियन डॉलर की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि संस्थागत निवेश में फंडिंग के स्रोतों में फैमिली आॅफिसेज, विदेशी कंपनियां, विदेशी बैंक, पेंशन फंड्स, निजी इक्विटी, रियल एस्टेट डेवलपर्स फंड, विदेशी एनबीएफसी, सूचीबद्ध रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और संप्रभु संपत्ति कोष शामिल हैं।