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‘आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं, हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे’-राजनाथ सिंह

बीजिंग। चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन आज से शुरू हो गया है। इस बाबत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ पहुंच चुके हैं। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के दो दिवसीय सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ जंग में व्यापक सहयोग की वकालत की।
पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की ओर से आॅपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले के लगभग डेढ़ महीने बाद हो रहे इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने आतंकवाद से निपटने के लिए अधिक क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों में गंभीर तनाव पैदा होने के बाद से यह किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की चीन की पहली यात्रा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी एससीओ के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन में हैं। चीन एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के नाते सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें सीमा पार से हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के लिए ड्रोन सहित आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का मुकाबला करने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी परस्पर जुड़ी दुनिया में पारंपरिक सीमाएं अब खतरों के खिलाफ एकमात्र बाधा नहीं हैं। इसके बजाय हम चुनौतियों के एक जटिल जाल का सामना कर रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और साइबर हमलों से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक फैले हुए हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के अपने संकल्प पर कायम है।’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के लिए भारत की शून्य सहिष्णुता आज उसके काम से प्रकट होती है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद का बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे। हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिए। एससीओ के आरएटीएस तंत्र ने इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने पर एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य भारत की अध्यक्षता हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, मैं वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने तथा आतंकवाद को समाप्त करने के लिए संयुक्त और सतत प्रयासों का आह्वान करने के लिए उत्सुक हूं। उनकी एससीओ सम्मेलन से इतर अपने चीनी और रूसी समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठक भी हो सकती है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह एससीओ बैठक में संगठन के सिद्धांतों के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करेंगे। इसके अलावा वे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में भारत के दृष्टिकोण पर भी जोर देंगे। राजनाथ के क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त और सतत प्रयासों का आह्वान करने की उम्मीद है।
रक्षा मंत्री एससीओ के भीतर अधिक व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क की आवश्यकता पर भी जोर दे सकते हैं। वह चीन और रूस समेत कुछ साझेदार देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारत क्षेत्र में बहुपक्षवाद, राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देने में एससीओ को विशेष महत्व देता है।

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