भारतीय टीम में चयन के लिए सरकारी पर्यवेक्षक की निगरानी में होंगे ट्रायल
इसकी वीडियोग्रॉफी भी होगी
नई दिल्ली। भारतीय टीम में चयन को लेकर होने वाले विवादों और अदालती चक्करों से बचने के लिए खेल मंत्रालय ने चयन नीति में संशोधन कर राष्ट्रीय खेल संघों को इन्हें लागू करने के आदेश दिए हैं। अब कोई भी खेल संघ भारतीय टीम का चयन अचानक ट्रायल बुलाकर नहीं करा पाएगा। ट्रायल की सूचना खिलाडि़यों को 15 दिन पहले देनी पड़ेगी। ट्रायल वीडियोग्रॉफी के बिना आयोजित नहीं किए जाएंगे। ट्रायल की वीडियो मंत्रालय और साई को भेजनी होगी। टीमों के ट्रायल मंत्रालय के पर्यवेक्षकों की निगरानी में होंगे।
शिकायत निवारण समिति गठित करनी होगी
नई नीति के अनुसार खेल संघों को खिलाड़ियों के लिए एक समान चयन नीति और शिकायत निवारण प्रणाली लागू करनी होगी। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल ही में राष्ट्रीय खेल महासंघों को स्पष्ट किया था कि खेल संघ चयन में पारदर्शिता अपनाते हुए खिलाड़ियों के साथ कानूनी टकराव से बचें। हाल के दिनों में कुश्ती, निशानेबाजी और कुछ शीतकालीन खेलों की प्रतियोगिताओं के दौरान चयन को लेकर काफी विवाद सामने आए। हर ट्रायल से पहले खेल संघों को मंत्रालय को सूचित करना होगा।
निजी कोच भी बन सकेंगे टीम का हिस्सा
शिकायत निवारण समिति को सात दिन के अंदर फैसला देने को कहा गया है। फैसले के खिलाफ अपील समिति भी गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। चयन समिति का कोई भी सदस्य शिकायत निवारण समिति का हिस्सा नहीं होगा। खिलाडि़यों के साथ लगातार जुड़े रहने वाले उनके निजी कोच या सपोर्ट स्टाफ का भी टीम में चयन मेरिट के तहत किया जा सकता है।