बलवा के 27 साल पुराने मुकदमे में 45 बरी

60 अभियुक्तों की सुनवाई पूरी…13 की हो चुकी मौत, दो की फाइल अलग
कानपुर। कानपुर के चमनगंज में इमाम से मारपीट के आरोपी की गिरफ्तारी और बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर 27 साल पहले हुए बलवा के मामले में  फास्ट ट्रैक कोर्ट 52 के न्यायाधीश राहुल सिंह ने 60 अभियुक्तों के मुकदमों की सुनवाई पूरी कर ली। इसमें सबूतों के अभाव में 45 आरोपी बरी हो गए, 13 की मौत हो चुकी है, दो की फाइल अलग कर दी गई है। भीड़ ने चमनगंज थाना क्षेत्र के आसपास जमकर उपद्रव मचाया था। उपद्रवियों की गोली से तत्कालीन एसपी साउथ के गनर की मौत भी हो गई थी।

इसी से संबंधित अलग-अलग कई मुकदमे लंबित थे। लक्ष्मीपुरवा मस्जिद इलाके के इमाम के साथ 9 जनवरी 1998 की दोपहर दूसरे समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा अभद्रता व मारपीट किए जाने के मामले में रायपुरवा थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। अभियुक्त की गिरफ्तारी और बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग उत्तेजित होकर अलग-अलग जगह जाम लगाने लगे। हलीम कॉलेज चौराहे पर रात लगभग पौने नौ बजे दो हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और सभा करने लगी।
पुलिस ने लाउडस्पीकर से सम्मेलन को गैरकानूनी बताते हुए लोगों से घर जाने की अपील की, तो भीड़ उत्तेजित हो गई। उपद्रवियों ने पत्थर, बम व अवैध असलहों से फायरिंग शुरू कर दी। सूचना पर एसपी साउथ अशोक कुमार अपने गनर हेड कांस्टेबल कुंवर पाल सिंह, पुलिस फोर्स और पीएसी के साथ मौके पर पहुंचे और चेतावनी दी। लाठीचार्ज के आदेश दिए गए। इसके बाद भी उपद्रवी नहीं माने, तो पुलिस को फायरिंग के आदेश दिए। उपद्रवियों की ओर से एसपी साउथ पर फायर किया गया, लेकिन गनर उन्हें हटाकर खुद सामने आ गया। गोली गनर की नाक के पास लगी।

लहूलुहान हालत में गनर कुंवर पाल को हैलट ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। कई घंटे तक चले बवाल के बाद पुलिस उपद्रवियों को काबू कर सकी थी। कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। मुकदमे में 77 अभियुक्तों के खिलाफ अलग-अलग चार्जशीट कोर्ट भेजी गई थी। अभियोजन की ओर से 12 गवाह कोर्ट में पेश किए गए। सबूत और गवाह कोर्ट में अभियोजन की कहानी को साबित करने में सफल नहीं रहे। 81 पेज के अपने फैसले में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने 45 आरोपियों को बरी कर दिया।
आर्म्स एक्ट में चार दोषियों को तीन-तीन साल कैद
मुकदमे में 77 अभियुक्तों के खिलाफ बलवा, हत्या का प्रयास, हत्या, विस्फोटक अधिनियम और सेवन सीएलए के तहत अलग-अलग चार्जशीट कोर्ट भेजी गई थी। हत्या के मुकदमे में 60 अभियुक्तों से संबंधित मुकदमे की सुनवाई पूरी हो गई। इसके अलावा चार अभियुक्तों पर आर्म्स एक्ट के तहत भी अलग से मुकदमा चला। चारों अभियुक्तों के आर्म्स एक्ट में दोषी पाए जाने पर फास्ट ट्रैक कोर्ट 52 ने तलाक महल निवासी इसरार अहमद, चमनगंज निवासी मो. सफी व खुर्शीद आलम और कर्नलगंज निवासी मो. आसिफ को तीन-तीन साल कैद और एक-एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर 15 दिन की कैद और भुगतनी होगी।
इनकी हो चुकी है मौत
राजू उर्फ इमरान, मो. सईद, इस्लामुद्दीन, शमीम, असलम, आफताब अहमद, साजिद, फहीम, जमील अहमद, भोपाली, मो.राशिद, मो.असलम, अब्दुल वहीद।

इनकी फाइल अलग की गई
अब्दुल वहीद खान और गुड्डू की फाइल न्यायालय ने अलग कर दी है।
ये आरोपी किए गए दोषमुक्त
इसरार अहमद, खुर्शीद आलम, एहसान, अतीकुर्रहमान, सुल्तान, अंसार, रशीद आलम, मो.लईक, मतीउल्ला, हाशिम आजाद, वसीम, चंदू, रहमत अली, अब्दुल हफीज, नूर बाबू, मोबीन अहमद, सिराज अहमद, मेराज अहमद, मेहराज, रफीक अहमद, मो.फरीद, मो.हनीफ, अनीस अहमद, हनीफ अहमद, अमीर मोहम्मद, मो.फरीद, मो.लईक, असलम, मो.सफी, मो.सलीम खान, मो.रफीक, मो.रईस, नौशाद आलम, साबिर, शाकिर, महताब, आफताब, सगीर अहमद, रशीद अहमद, अकील, मो.आसिफ, अखलाक अहमद, सैयद अफतार अहमद, तनवीर अहमद, जमशेद आलम।