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यहां सभी अपने नाम के पीछे लिखते हैं तोता, भेड़िया, गिलहरी और बंदर, हवेलियों से होती है लोगों की पहचान

उत्तर प्रदेश के बड़ाैत का बामनौली एक ऐसा गांव है, जहां हवेली के नाम से लोगों की पहचान होती है। गांव में आने वाले लोग हवेलियों के नाम से लोगों का पता पूछते हैं। इसके अलावा गांव में भी लोगों को हवेली के नाम से जाना जाता है।

इसके अलावा 11 ऐतिहासिक मंदिर से भी गांव की पहचान बनी हुई है। यही नहीं यहां अपने नाम के आगे पशु-पक्षियों के नाम उपनाम के ताैर पर लगाने की रवायत भी पुराने समय से ही जारी है।

बामनौली गांव में 250 साल पहले बड़ी-बड़ी हवेलियां बनाने का कार्य शुरू हुआ और गांव में 50 से ज्यादा हवेलियां बनवाई गईं। इनके कारण गांव को हवेलियों वाला गांव कहा जाता है। गांव की 24 से अधिक हवेलियां पूर्वजों की गाथाओं को चरितार्थ करती हैं।

कुछ लोग गांव से हवेलियों को बेचकर शहरों में रह रहे हैं, जबकि तकरीबन 30 परिवार आज भी पूर्वजों की हवेलियों में रहकर अपने पूर्वजों के इतिहास को सहेजे हुए हैं। हालांकि गांव में आधुनिक मकानों की संख्या अब काफी ज्यादा है, लेकिन ये पुरानी हवेलियां आज भी गांव की शान कहलाती हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने हवेलियों का निर्माण करने के लिए ईंट बनाने को गांव में भट्ठियां लगाई गई थीं। हवेलियों में आज भी उन भट्ठियों से बनी ईंट लगी हैं, जो गांव व हवेलियों के 250 साल पुराने इतिहास को बयां करती हैं। हवेली में रहने वाले लोगों का कहना है कि पूर्वजों की हवेली में रहने पर गर्व महसूस होता है। उनके पूर्वजों ने गांव में जब हवेलियों का निर्माण कराया था, तब अधिकतर लोग कच्चे मकानों में रहते थे।

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