फाइनल से पहले भारतीय कोच किए गए थे निलंबित

लगा आर्थिक जुमार्ना, फिर भी पदक जीते भारत के तीरंदाज

नई दिल्ली। विश्व कप में प्रशिक्षकों की भारी भूल के बावजूद तीरंदाजों ने स्वर्णिम प्रदर्शन किया। फाइनल के दौरान भारतीय तीरंदाजों के साथ प्रशिक्षकों को जाने से रोक दिया गया। बावजूद इसके तीरंदाजों ने पांच स्वर्ण समेत आठ पदक जीत विश्वकप में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। आर्चरी फील्ड में एक से अधिक प्रशिक्षकों की मौजूदगी पर आयोजकों ने प्रशिक्षकों को न सिर्फ निलंबित किया बल्कि उन पर आर्थिक जुमार्ना भी ठोका है। आयोजकों ने तीसरी चेतावनी में भारतीय कोचेज को आर्चरी फील्ड में जाने से रोका और जुमार्ना लगाया।
तीसरी गलती पर की गई कार्रवाई
नियमों के अनुसार आर्चरी फील्ड (एफओपी) में टीम के साथ सिर्फ एक कोच को जाने की इजाजत होती है। यह प्रशिक्षक तीरंदाज के पीछे खड़ा होकर उसे निर्देश देता है। सूत्रों की मानें तो मुकाबले के दौरान कोच की मौजूदगी के बावजूद एक अन्य वरिष्ठ कोच भी एफओपी में चले गए। इस पर उन्हें पहली चेतावनी दी गई, लेकिन इस बारे में साथी कोचेज को नहीं बताया गया। अगले मुकाबले में दूसरा कोच एफओपी में चला गया। इस पर छोटा आर्थिक दंड लगाया गया, लेकिन तीसरी बार जब यह गलती दोहराई गई तो न सिर्फ आर्थिक जुमार्ना बढ़ाया गया बल्कि टीम के साथ किसी भी कोच को एफओपी में जाने से रोक दिया गया। जिसके चलते भारतीय तीरंदाजों को बिना कोच के फाइनल खेलने पड़े।
पहली बार हुआ ऐसा मामला: सूत्रों की मानें को जुमार्ना एक लाख रुपये के आसपास है। तीरंदाजी संघ के एक पदाधिकारी का कहना है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि कोचेज को निलंबित कर आर्थिक जुमार्ना लगाया गया हो। मैनेजर से रिपोर्ट मांगी गई है। इसकी समीक्षा के बाद कार्रवाई की जाएगी।