UP Politics: इस बार यूपी चुनाव में दिखेगा अब तक का सबसे अलग मुद्दा! योगी सरकार ने बनाई है यह खास रणनीति
UP Politics: कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में इस वक्त जो माहौल है, वह आज तक देश और दुनिया के निवेशकों के लिए कभी बनाया ही नहीं जा सका। उनका कहना है कि मोदी और योगी सरकार जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में विकास के नए मॉडल को लागू कर रही है, उससे अगले कुछ वक्त में प्रदेश की पूरी तस्वीर बदली हुई दिखेगी
UP Politics: बीते कई दशकों से तो यही देखने को मिल रहा है कि जब यूपी में चुनावों की राजनीतिक बिसात बिछाई जाती है, तो उसमें जातिगत समीकरणों के साथ-साथ अपनी-अपनी पार्टी की आस्थाओं का भी समावेश होता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में जो हवा बह रही है, वह सियासी बिसात की एक अलग ही कहानी कह रही है। राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि आने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में इस बार भाजपा जातिगत समीकरणों और मंदिर मस्जिद के मुद्दों से बिल्कुल अलग हटकर यूपी में होने वाले निवेश और विकास के मुद्दे पर चुनाव की पूरी नींव रख रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने न सिर्फ माहौल बनाया है बल्कि उसे जमीन पर उतारना भी शुरू कर दिया है।
इस बार कुछ अलग ही है माहौल
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उत्तर प्रदेश में चुनावों का मतलब ही जातिगत समीकरणों के ताने-बाने से शुरू होता है। उसके बाद सियासत की तासीर को धर्म के आधार पर भी नापा तौला जाता है। लेकिन इस बार जो माहौल बन रहा है, वह बिल्कुल अलग है। राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि बीते कुछ महीनों में अगर आप उत्तर प्रदेश की सुर्खियों से समझना चाहते हैं, तो आपको यहां होने वाले निवेश और डेवलपमेंट के मॉडल समेत फॉरेन इन्वेस्टमेंट की चर्चाएं और कहानियां ही सुनाई देंगी। जटाशंकर सिंह कहते हैं कि बीते कई दशकों में उत्तर प्रदेश में इस बार इस तरीके का कुछ अलग ही माहौल दिख रहा है। वह मानते हैं कि लोकसभा के चुनावों में इस बार उत्तर प्रदेश से जो चुनावी मुद्दे तय होंगे वह हर बार के चुनावों से बिल्कुल अलग होंगे। जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में डेवलपमेंट और इन्वेस्टमेंट का पूरा ड्राफ्ट तैयार किया गया है और फिर उसको अमल में लाया जाने लगा है उससे चुनावी मुद्दों की तासीर का भी पता चलता है।
सियासी जानकार अरविंद नारायण कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सच है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के मुद्दे अभी तक जो होते थे, वह जाति धर्म और मजहब के आधार पर ही दिखाई और सुनाई पड़ते थे। अरविंद कहते हैं कि इस बार के चुनावों में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा अपनी सरकार के किए गए कामों के आधार पर चुनावी मुद्दे और एजेंडा तय करने जा रही है। उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टमेंट को लेकर के बनाई गई कमेटी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि उनकी टीम ने जिस तरीके से देश और दुनिया के अलग-अलग शहरों में जाकर इन्वेस्टमेंट के लिए करार किए हैं, उससे अगले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश की पूरी तस्वीर बदली हुई दिखेगी। उक्त अधिकारी कोई राजनैतिक कमेंट करने से तो बचते रहे, लेकिन उन्होंने यह बात स्वीकार की कि जब किसी भी राज्य में विकास होता है, तो उस विकास को प्रचारित और प्रसारित भी किया जाना चाहिए ताकि जनता के बीच में अपने राज्य में होने वाले डेवलपमेंट का पूरा खाका जनता के सामने रखा जा सके।
उत्तर प्रदेश में विकास का नया मॉडल
उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री सुरेश कुमार खन्ना कहते हैं कि भाजपा सरकार की नीतियों से ही उनके राज्य में विदेशी निवेशकों का इंटरेस्ट बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार के मंत्रियों और प्रतिनिधिमंडल की पूरी टीम दुनिया के अलग-अलग देशों और शहरों में उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए कई करार करके आई है। वह कहते हैं कि लाखों-करोड़ रुपये के हुए इन करारों से न सिर्फ उत्तर प्रदेश का विकास होगा, बल्कि यहां लाखों की संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलने वाला है सुरेश खन्ना कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में होने वाले यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में दुनिया भर के निवेशक उत्तर प्रदेश पहुंचेंगे।
कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में इस वक्त जो माहौल है, वह आज तक देश और दुनिया के निवेशकों के लिए कभी बनाया ही नहीं जा सका। उनका कहना है कि मोदी और योगी सरकार जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में विकास के नए मॉडल को लागू कर रही है, उससे अगले कुछ वक्त में प्रदेश की पूरी तस्वीर बदली हुई दिखेगी। उनका कहना है कि पुरानी सरकारों के पास जब कुछ नहीं होता था तभी वह सियासत में जाति धर्म को लेकर आते थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी सरकार ने उत्तर प्रदेश में एक नई लकीर खींची है।
अब तक 108 एमओयू पर दस्तखत
दरअसल बीते कुछ समय से उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल को दुनिया के अलग-अलग बड़े क्षेत्रों में भेजकर इन्वेस्टमेंट का पूरा खाका खींचा था। इसके लिए मंत्रियों समेत पूरा प्रतिनिधिमंडल यूएई, कनाडा, यूएसए, नीदरलैंड, फ्रांस, जापान, साउथ कोरिया, जर्मनी, बेल्जियम, स्वीडन, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ब्राजील, सिंगापुर ऑस्ट्रेलिया और यूके के अलग-अलग शहरों और राज्यों में गया। उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि प्रदेश में जिस तरीके से इन्वेस्टमेंट के लिए अलग-अलग देशों के अलग-अलग उद्योगपतियों और बड़ी संस्थाओं ने निवेश के लिए अपना उत्साह दिखाया है, वह अपने में बिल्कुल अलग है। वह कहते हैं कि अब तक 108 एमओयू साइन किए जा चुके हैं। अब तक 712248 करोड़ रुपये का टोटल प्रोजेक्ट अमाउंट इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार हुआ है, जबकि इतने बड़े इन्वेस्टमेंट के साथ सात लाख से ज्यादा लोगों को उत्तर प्रदेश में रोजगार भी मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषक ओपी मिश्रा कहते हैं कि जब किसी सरकार के पास डेवलपमेंट का एक मॉडल होता है या विकास की परिभाषा बताने का कोई जरिया होता है, तो निश्चित तौर पर उसे जनता के बीच लेकर जाते ही है। चूंकि अगले साल लोकसभा का चुनाव है। ऐसे में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में चुनावी मुद्दा क्या होगा यह मायने रखता ही है। वह कहते हैं कि अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर निश्चित तौर पर एक बड़ा मुद्दा तो होगा ही, लेकिन साथ-साथ उत्तर प्रदेश में होने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और इन्वेस्टमेंट का यह स्वरूप भी बड़े मुद्दे के तौर पर सामने रखा जाएगा। वह कहते हैं कि राज्य सरकार की ओर से रखा जाने वाला मुद्दा सफल हो जाता है, तो आने वाले कई चुनावों में ना सिर्फ यह सफलता की कहानी कहेगा बल्कि उत्तर प्रदेश में निवेश और विकास की बड़ी धुरी भी बनेगा।