J&K: अलगाववादी मसर्रत आलम को बेल; फैसले के वक्त क्या बोले जज
श्रीनगर.देशद्रोह के आरोपी जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी ने मसर्रत आलम को एक लोकल कोर्ट ने बेल दे दी। आलम को बेल देते वक्त जज ने पुलिस को जमकर फटकार लगाई। मसर्रत को बार-बार जेल में रखे जाने पर कोर्ट ने कहा- यहां अबुगरिब या गुआंतानामो जेल जैसे हालात सहन नहीं किए जा सकते।
– आलम को रिहाई से पहले दो बॉन्ड भरने को कहा गया है। दोनों ही बॉन्ड दो-दो लाख रुपए के हैं।
– जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कोर्ट में आलम को बेल देने का विरोध किया। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप उसे गैर कानूनी से तरीके से जेल में नहीं रख सकते।
– चीफ ज्युडिशयल मजिस्ट्रेट मसर्रत रूही ने कहा- लंबे वक्त से इस राज्य में अबुगरिब और गुआंतानामो बे जैसे हालात हैं। और इसे ज्यादा सहन नहीं किया जा सकता। कम से कम तब तो बिल्कुल नहीं जब इस तरह के मामले कोर्ट के सामने आएं।
– बता दें कि अबुगरिब और गुआंतानामो बे दो जेलों के नाम हैं। 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने इन जेलों को शुरू किया था। इनमें ज्यादातर कैदी वो हैं जिन्होंने अमेरिकी या नाटो फौज के खिलाफ जंग में हिस्सा लिया है या वो जो अमेरिका का हिंसक विरोध करते हैं।
– कोर्ट ने आलम को बार-बार हिरासत में रखने पर भी सवाल उठाए।
– कोर्ट ने कहा- आप उसे कितनी बार 90 दिन के लिए जेल भेजेंगे। अगर वो दोषी है तो सरकार को इसे प्रूव करने दीजिए और फिर कोर्ट उसे जुर्म के हिसाब से सजा देगी।
– जज ने ये भी कहा- अगर वो देशद्रोह का आरोपी है तो कानून अपना काम करेगा। लेकिन संविधान ने उसे इंसाफ पाने के भी अधिकार दिए हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता।
– जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कोर्ट में आलम को बेल देने का विरोध किया। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप उसे गैर कानूनी से तरीके से जेल में नहीं रख सकते।
– चीफ ज्युडिशयल मजिस्ट्रेट मसर्रत रूही ने कहा- लंबे वक्त से इस राज्य में अबुगरिब और गुआंतानामो बे जैसे हालात हैं। और इसे ज्यादा सहन नहीं किया जा सकता। कम से कम तब तो बिल्कुल नहीं जब इस तरह के मामले कोर्ट के सामने आएं।
– बता दें कि अबुगरिब और गुआंतानामो बे दो जेलों के नाम हैं। 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने इन जेलों को शुरू किया था। इनमें ज्यादातर कैदी वो हैं जिन्होंने अमेरिकी या नाटो फौज के खिलाफ जंग में हिस्सा लिया है या वो जो अमेरिका का हिंसक विरोध करते हैं।
– कोर्ट ने आलम को बार-बार हिरासत में रखने पर भी सवाल उठाए।
– कोर्ट ने कहा- आप उसे कितनी बार 90 दिन के लिए जेल भेजेंगे। अगर वो दोषी है तो सरकार को इसे प्रूव करने दीजिए और फिर कोर्ट उसे जुर्म के हिसाब से सजा देगी।
– जज ने ये भी कहा- अगर वो देशद्रोह का आरोपी है तो कानून अपना काम करेगा। लेकिन संविधान ने उसे इंसाफ पाने के भी अधिकार दिए हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता।
कौन है मसरल आलम?
– 44 साल के मसर्रत को पहली बार दो अक्टूबर 1990 को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए), 1978 के तहत अरेस्ट किया गया था।
– अलगाववादी नेता मसर्रत पर भारत विरोधी और पाकिस्तान के पक्ष में नारेबाजी करने के आरोप लगते रहे हैं।
– जम्मू-कश्मीर में सिक्युरिटी फोर्सेस पर होने वाली पत्थरबाजी का उसे मास्टरमाइंड माना जाता है।
– अक्टूबर 1990 से जून 2009 तक उस पर 10 बार पीएसए लगाया गया था। इसके बाद भी उसे कई मामलों में अरेस्ट किया जा चुका है।
– पिछली बार उसे 2015 में केंद्र सरकार के दबाव के बाद अरेस्ट किया गया था। उस पर देशद्रोह की धाराएं लगाई गई थीं।
– अलगाववादी नेता मसर्रत पर भारत विरोधी और पाकिस्तान के पक्ष में नारेबाजी करने के आरोप लगते रहे हैं।
– जम्मू-कश्मीर में सिक्युरिटी फोर्सेस पर होने वाली पत्थरबाजी का उसे मास्टरमाइंड माना जाता है।
– अक्टूबर 1990 से जून 2009 तक उस पर 10 बार पीएसए लगाया गया था। इसके बाद भी उसे कई मामलों में अरेस्ट किया जा चुका है।
– पिछली बार उसे 2015 में केंद्र सरकार के दबाव के बाद अरेस्ट किया गया था। उस पर देशद्रोह की धाराएं लगाई गई थीं।