यहां रामभक्त दाऊद 68 साल से कर रहे हैं रामायण का पाठ
रायपुर। कहते हैं कि धर्म या मजहब एक खुदा की इबादत सिखाते हैं। ये दुश्मनी की नहीं, भाईचारे की शिक्षा देते हैं। असल जिंदगी में इस बात को सच साबित कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के धमतरी निवासी दाऊद खां ने।
करीब 93 साल के दाऊद का रामायण से गहरा लगाव है। वे कई वर्षों से रामायण का पाठ कर रहे हैं, इसलिए उन्हें दाऊद खां रामायणी भी कहा जाता है।
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दाऊद सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। उनके करीबी बताते हैं कि बतौर शिक्षक वे बहुत परिश्रमी व कर्मठ रहे हैं। रामायण से अटूट रिश्ता होने की कहानी भी दिलचस्प है। जब वे शिक्षक बनने के लिए प्रशिक्षण ले रहे थे, तब वहां उनका परिचय सालिगराम द्विवेदी तथा पदुमलाल बख्शी से हुआ।
उनकी प्रेरणा से उन्होंने रामायण पढ़ी। फिर इलाहाबाद विवि द्वारा आयोजित रामायण की परीक्षा दी तो पूरे भारत में उनका पहला स्थान आया।
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उसके बाद रामायण से लगाव गहरा होता गया। दाऊद करीब 68 साल से रामायण पर आधारित प्रवचन दे रहे हैं। शिक्षक बनने के बाद वे जहां भी गए, भगवान राम के आदर्शों का प्रचार करते रहे। वे रामायण के शब्दों को जीवन में उतारने पर खासा जोर देते हैं। उनके आह्वान पर लोगों ने सामाजिक कार्यों के लिए निशुल्क सेवाएं भी दी थीं।
1972 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया। इस मौके पर उन्होंने राष्ट्रपति भवन में रामायण का प्रवचन दिया। दाऊद आज भी इस कार्य में सक्रिय हैं। वे बताते हैं कि इससे मिले धन का उपयोग लोकसेवा व परमार्थ से जुड़े कार्यों में करते हैं।
वे अब तक 19 लोगों की पढ़ाई में आर्थिक सहयोग दे चुके हैं। उनका कहना है कि प्रेम ही ऐसा धागा है जो सभी धर्मों के लोगों को एक करता है।