दुर्गासप्तशती में भी हुआ है इस मंदिर का जिक्र, यहां दर्शन से मिट जाता है दुर्भाग्य

बसोली (बूंदी)

जिला मुख्यालय से दस किमी दूर एनएच 52 पर स्थित सथूर में स्थित रियासतकालीन रक्तदंतिका माता मंदिर में नवरात्र में देशभर से श्रद्धालु आते हैं।  माता के मंदिर को शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

सथूर गांव व रक्तदंतिका माता के मंदिर से जुड़ी कथाओं का उल्लेख दुर्गा सप्तशती में माना जाता है। दुर्गाशप्तशती के अनुसार सथूर नामक राजा ने सथूरपुरी बसाई थी। उसी समय गांव तीन बार उजड़ गया और अंतिम गांव संवत 1241 में बसा। उसी समय चन्द्रभागा नदी पर एक ऋषि ने रेत से बनी माता की प्रतिमा की स्थापना की। जिसे हाड़ा शासकों की कुलदेवी के नाम से भी जाना जाता है।

नवरात्र में माता के मंदिर में दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित प्रदेश के जयपुर, अजमेर, झालावाड़, बूंदी, कोटा  सहित अन्य स्थानों से भक्तों की भीड़ माता के दर्शनों को आती है।  नवरात्र में माता के मंदिर पर एक दर्जन से  अधिक पं.दुर्गा पाठ करते हैं।

नवरात्र में रात्रि को व सुबह-शाम मंदिर में महाआरती की जाती है। जिससे आस पास का वातावरण भक्तिमय हो जाता है। इस अवसर पर माता का विशेष शृंगार किया जाता है।