शनिवार को करें दुर्गा के इन 2 रूपों का पूजन, सदा होगी आपकी विजय
शनिवार (9 अप्रेल 2016) को मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी एवं चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना होगी। ऐसा तृतीया तिथि क्षय होने के कारण होगा। जानिए देवी के इन दोनों स्वरूपों का विवरण एवं इन्हें प्रसन्न करने के मंत्र।
ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है। चूंकि ब्रह्म शब्द का संबंध तपस्या एवं ज्ञान से है, इसलिए मां ब्रह्मचारिणी को तप की देवी माना जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत सुंदर, ज्योतिर्मय है। उनके दाएं हाथ में जपमाला एवं बाएं हाथ में कमंडल है। नारद के उपदेश सुनकर इन्होंने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या की थी।
मां ब्रह्मचारिणी समस्त वेद-शास्त्रों की ज्ञाता हैं। यश व ज्ञान की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा करनी चाहिए। इस रूप में मां के वस्त्र धवल हैं। इनका दर्शन, पूजन एवं स्मरण अत्यंत शुभ होता है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए ये मंत्र पढ़ें-
ध्यान
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
स्तोत्र पाठ
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
कवच
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप है – चंद्रघंटा है। इन्हें यह नाम एक विशेषता के कारण मिला है। इन्हें चंद्रघंटा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मां के माथे पर घंटे के आकार में अर्धचंद्र है। मां का यह रूप बहुत शांतिदायक है। इनके पूजन से मन को शांति की प्राप्ति होती है। ये भक्त को निर्भय कर देती हैं। देवी का स्मरण जीवन का कल्याण करता है।
इनका रंग उज्ज्वल है। इनसे स्वर्ण के समान आभा निकलती है, इसलिए जहां इनका आगमन होता है, वहां से अशुभता का अंधेरा दूर हो जाता है। इनके तीन नेत्र, दस भुजाएं हैं।
मां के इस रूप से भक्त के मन में साहस आ जाता है, क्योंकि ये सत्य की रक्षा के लिए सदैव युद्ध के लिए तैयार रहती हैं। इन्होंने कमल का पुष्प, कमंडल आदि शुभ चिह्न धारण किए हैं। वहीं, धनुष-बाण, खड्ग, तलवार, त्रिशूल व गदा भी धारण करती हैं। इन्होंने गले में श्वेत पुष्पों का हार पहना है। मां का वाहन सिंह है जो साहस व शक्ति का प्रतीक है। इनकी प्रसन्नता के लिए इन मंत्रों का पाठ करें-
ध्यान मंत्र
स्तोत्र मंत्र
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥
कवच
रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं।
स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥