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ताजमहल के पत्थरों से बनी इस मस्जिद में लगता है फरिश्तों का दरबार

अजमेर।

ख्वाजा साहब की दरगाह में बनी शाहजहांनी मस्जिद में भी वही पत्थर इस्तेमाल किया गया जो आगरा में ताजमहल बनाने के लिए किया गया था। खादिम सैय्यद फखर काजमी ने बताया कि इसका ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद है कि शाहजहांनी मस्जिद में प्रयुक्त किया गया वही संगमरमर है जो ताजमहल निर्माण में काम में लिया गया था।

उन्होंने बताया कि बादशाह शाहजहां को ताजमहल निर्माण के दौरान यह ख्याल आया कि अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में मस्जिद का निर्माण भी करवाया जाए। काजमी के अनुसार जब बादशाह को पता चला कि मस्जिद निर्माण में कुछ अनुपयोगी पत्थर काम में ले लिए गए तो उन्होंने तत्कालीन इंजीनियर या ओवरसीयर को कड़ी सजा सुनाई। दिल्ली गेट के पास उस इंजीनियर की पुश्तैनी जायदाद अब भी बताई जाती है। हालांकि अब वहां मकान बन चुके हैं।

यहां लगता है फरिश्तों का दरबार

काजमी ने बताया कि सूफीज्म पर लिखी कई पुस्तकों में साफ लिखा है कि ख्वाजा साहब का सूफियाना संदेश में हमेशा सेवा, जरुरतमंद की मदद, कौमी एकता, आपसी सौहार्द  तथा अदब से रहने की बात  लिखी है। ऐसा कहा जाता है कि रात को आस्ताना मामूल होने के बाद यहां फरिश्तों व वलियों का दरबार लगता है। उन्होंने बताया कि पांयती दरवाजे पर यह अंकित भी है कि अदब से चलें, यहां फरिश्ते, वलियों, मुरीद का दरबार लगता है।

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