इस शख्स ने मोहल्ले को कर दिया टीबी मुक्त
अलीगढ़। कौन कहता है आसमां से सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो… ये पंक्तियाँ एक युवा के लिए इतना हौसला और हिम्मत देने वाली साबित हुईं कि उसने अपने परिश्रम से एक मोहल्ले को क्षय रोग (टीबी) मुक्त बना दिया है। महज 34 साल की उम्र में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल करने वाला युवा युवक हैं सलीम अहमद। जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर अतरौली क़स्बे के मोहल्ला खैरापतन निवासी सलीम अहमद वर्त्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अतरौली में बतौर टीबी सुपरवाइजर कार्यरत हैं।
टीबी की शिकार हुयी माँ की उपेक्षा बनी प्रेरणा
सलीम अहमद ने अपने मोहल्ले को टीबी मुक्त बनाने का बीड़ा यूं ही नहीं उठाया। असल में इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल सलीम अहमद की मां बिल्सा बेगम को 20 साल पहले टीबी की बीमारी हो गयी थी। सलीम अहमद बताते हैं कि जब वह अपनी मां को दवा दिलवाने के लिए डाक्टरों के पास जाते थे तो उन्हें महसूस हुआ कि उनकी मां और अन्य दूसरे सभी टीबी के मरीजों को हीनभावना से देखा जाता है। सिर्फ डाक्टर ही नहीं परिवार के लोग भी मरीज की अनदेखी करते थे। उसी समय उन्होंने ठान लिया कि वह न सिर्फ अपनी मां का टीबी का पूरा कोर्स कराकर स्वास्थ करने की कोशिश करेंगे बल्कि अपने आसपास के टीबी के मरीजों को भी जागरुक कर इलाज के लिए प्रेरित करेंगे।
टीबी सुपरवाइजर के रूप में मिला मौका
मध्यम वर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हाजी सुलेमान के बेटे सलीम अहमद को वर्ष 2003 में टीबी सुपरवाइजर के पद पर काम करने का मौका मिला। हालांकि इससे पहले भी वह लोगों को टीबी की बीमारी के प्रति जागरुक करते रहते थे लेकिन 2003 के बाद उन्होंने इस काम में तेजी दिखाई और शुरुआत अपने मोहल्ले से की। सलीम अहमद कहते हैं कि उनका प्रयास है कि इलाके में कोई भी इंसान टीबी से ग्रस्त न मिले यही उनका लक्ष्य है।
मोहल्ले में 28 लोगों को किया ठीक
अतरौली नगर पालिका के खैरा पतन मोहल्ले की आबादी लगभग 3,800 हैं। इतने कम आबादी वाले मोहल्ले में सलीम अहमद ने 28 लोगों को टीबी से ग्रस्त पाया। सलीम अहमद खुद अपनी पॉकेट मनी खर्च करके इन सभी मरीजों को सरकार के डॉट्स कार्यक्रम से जोड़ा और उन्हें दवा खाने के लिए प्रेरित किया। सलीम ने अपने काम के बाद मरीजों को उनके घर पर सिर्फ दवाईयां पहुंचाने तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि पूरी जिम्मेदारी से साथ उन्हें सुबह-शाम दवाईयां खिलवाईं। उनकी मेहनत का नतीजा रहा कि 27 मरीज पूरी तरह आज स्वास्थ हैं। उनकी मां भी आज पूरी तरह स्वास्थ हैं।
तहसील में 650 से ज्यादा लोग टीबी के शिकार
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉ. कुलदीप राजपुरी बताते हैं कि अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक 650 से ज्यादा पंजीकृत टीबी मरीज हैं। जबकि कई मरीज ऐसे भी हैं जो अस्पताल आने से डरते हैं। डॉ. कुलदीप बताते हैं कि टीबी जैसी बीमारी का इलाज काफी लम्बा चलता है जिसकी वजह से न सिर्फ परिजन बल्कि मरीज भी हताश हो जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज को प्रेरित करना बड़ा महत्वपूर्ण और कठिन काम है।