
दिल्ली एनसीआर का एक्यूआई रहने लायक तो नहीं बचा है, लेकिन जाएं तो जाएं कहां, क्योंकि आॅफिस, घर और बच्चों के स्कूल सब यहीं हैं। ऐसे में खुद ही इस प्रदूषण से बचने के उपाय करने होंगे। प्रदूषण से बचने के लिए सांस लेने से जुड़ी कुछ आदतों को बदलना होगा या उसमें सुधार करना होगा। जिससे फेफड़े अपना काम अच्छी तरह से कर पाएं और स्वस्थ भी रहें। जब फेफड़ों के स्वास्थ्य की बात आती है, तो ज्यादातर लोग धूम्रपान न करें और प्रदूषण से बचने की सलाह देते हैं। ये बात भी सच है कि ये दोनों चीजें फेफड़ों बेहद नुकसान पहुंचाती हैं। लेकिन फेफड़ों की सुरक्षा का मतलब सिर्फ उन चीजों से कहीं ज्यादा है जो आप नहीं करते हैं। आपक कैसे और कितनी सांस लेते हैं आप अपने खाने और पेट का कितना ख्याल रखते हैं और कितनी एक्टिव लाइफ जीते हैं ये सभी आदतें भी फेफड़ों की सेहत पर असर डालती हैं।
नेस्थेसियोलॉजिस्ट और इंटरवेंशनल पेन मेडिसिन विशेषज्ञ ने 3 ऐसी आदतें बताई हैं जिन्हें अपनाने से आप अपने फेफड़ों को स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं। इसमें आपकी रोजाना की जाने वाली एक्टिविटी, अच्छी तरह सांस लेने की आदत और आंत-फेफड़े की धुरी को सहारा देना शामिल है। ये आदतें लंबे समय में फेफड़ों के स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में मदद करती हैं। जिससे फेफड़े बेहतर तरीके से काम कर सकें और आप स्वस्थ रह सकें।
फेफड़ों को मजबूत बनाने वाली आदतें
रोजाना कार्डियो करना- आपके दिल ही नहीं बल्कि फेफड़ों के लिए भी कार्डियो एक्सरसाइज अच्छी मानी जाती हैं। इससे दिल और फेफड़े दोनों मजबूत बनते हैं। आपको रोजाना 20 से 30 मिनट की पैदल वॉक, साइकिलिंग या हल्की जॉगिंग जरूर करनी चाहिए। इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने, डायाफ्राम को मजबूत बनाने और आपके सांस के रास्ते में फंसे बलगम और प्रदूषकों को साफ करने की प्रक्रिया में सुधार आता है।
सांस प्रशिक्षण- सांस लेना भी अपने आप में एक कला है। इसके लिए आपको नियमित रूप से सांस लेने का अभ्यास भी करते रहना चाहिए। ऐसा करने से आॅक्सीजन का स्तर नियंत्रित रहता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और रेस्पिरेटरी एफीसेंसी बढ़ती है। नाक से धीरे सांस लेना, गहरी सांसें लेना और यहां तक कि बेसिक बॉक्स ब्रीदिंग भी फेफड़ों का वॉल्यूम बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे तनाव या व्यायाम के दौरान उड2 टॉलरेंस में सुधार करने और सांस रिएक्टिविटी को कम करने में मदद मिलती है।
आंतों को रखें स्वस्थ- डॉक्टर सूद के अनुसार, हमारी आंत में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया (माइक्रोबायोम) सिर्फ खाना पचाने और मल त्याग में मदद नहीं करते, बल्कि शरीर के कई बड़े अंगों पर असर डालते हैं। इसमें फेफड़े भी शामिल हैं। आंत का माइक्रोबायोम हमारी सांस लेने की क्षमता और फेफड़ों की सेहत को मजबूत करता है। अगर आंत स्वस्थ है तो शरीर में सूजन कम होती है। जिससे सांस की नलियां (वायुमार्ग) लचीली और बेहतर काम करती हैं। आपको डाइट में ऐसे प्रोबायोटिक सप्लीमेंट शामिल करने चाहिए जो आंत और फेफड़ों के संबंध को मजबूत करने के लिए बनाए गए हैं।




