प्रेमानंद जी ने महंत नृत्य गोपाल के पैर पखारे:टीका लगाकर दंडवत प्रणाम किया

मथुरा। वृंदावन में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। आश्रम में शिष्यों ने फूल बरसाकर स्वागत किया। संत प्रेमानंद महाराज ने खुद मुख्य गेट पर जाकर उन्हें दंडवत प्रणाम किया। इसके बाद सम्मान के साथ उन्हें आश्रम के अंदर लाए।
प्रेमानंद महाराज ने महंत को आसान पर बैठाया और खुद जमीन पर बैठे। इसके बाद शिष्यों से थाली-लोटा मंगाकर महंत गोपाल दास के पैर पखारे। शिष्यों ने लोटे से जल डाला और प्रेमानंद महाराज ने अपने हाथों से पांव पखारे। इसके बाद कपड़े से उनके पैरों को पोंछा। चंदन का तिलक लगाकर चरण वंदना की।
फिर उसी चंदन को अपने माथे पर धारण किया। प्रेमानंद महाराज ने महंत नृत्य गोपाल दास को माला पहनाई और राधा रानी की प्रसादी चुनरी ओढ़ाई। फिर उनकी आरती की। इसके बाद पुष्प अर्पित करते हुए प्रसाद दिया। महंत नृत्य गोपाल दास गुरुवार को केलि कुंज पहुंचे थे।
महंत नृत्य गोपाल दास जैसे ही केली कुंज आश्रम के मुख्य द्वार पर पहुंचे, वहां इंतजार कर रहे प्रेमानंद महाराज ने तुरंत जमीन पर लेटकर दंडवत प्रणाम किया। उठते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा- बड़ी कृपा हुई है।
इसके बाद दोनों संत आश्रम के अंदर पहुंचे। यहां संत प्रेमानंद महाराज ने महंत नृत्य गोपाल दास को आसन पर विराजमान किया। खुद नीचे बैठकर जल से उनके चरण पखारे। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच चरण पखारते समय प्रेमानंद महाराज की आंखें नम हो गईं।
महंत नृत्य गोपाल दास के चरण पखारने के बाद संत प्रेमानंद महाराज ने उनके चरणों का पूजन किया। चरणों पर चंदन लगाया और फिर उसी चंदन को अपने माथे पर धारण किया। इसके बाद उन्होंने महंत को राधा रानी की प्रसादी चुनरी ओढ़ाई। आरती की। पुष्प अर्पित करते हुए प्रसाद दिया।
पूजन और आरती के बाद प्रेमानंद महाराज ने भावुक होकर कहा- आपने बड़ी कृपा की है। इस पर पास में मौजूद एक अन्य संत बोले- यह हमारा बड़ा सौभाग्य है कि दो महान संतों का ऐसा दिव्य मिलन हुआ है। जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा- महाराज जी ने हम पर वैसी ही कृपा की है- जैसे कोई अपने बच्चे पर करता है। इसके बाद उन्होंने महंत नृत्य गोपाल दास के संघर्षों का उल्लेख करते हुए कहा कि महाराज जी ने धर्म, समाज और साधकों के लिए बहुत संघर्ष किया है। राम जन्मभूमि के लिए उन्होंने क्या-क्या नहीं सहा यहां तक कि बम-बारूद तक खाने पड़े।
महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने कहा- भगवान की कृपा से सब काम हो रहा है। भगवान जो कराते हैं, वही होता है। भगवान की कृपा के बिना कोई काम होता नहीं है। इसलिए भगवान की कृपा पर निर्भर रहना जरूरी है। भगवान का नाम मंगल भवन अमंगल हारी है। इसलिए भगवान का नाम लेना चाहिए। भगवान की कृपा का अनुश्रवण करना चाहिए।
महंत नृत्य गोपाल दास के आशीर्वचन के बाद वहां मौजूद संत परिकर ने संत प्रेमानंद महाराज से कुछ कहने के लिए कहा। जिसके बाद संत प्रेमानंद महाराज ने कहा- जब भगवान प्रसन्न होते हैं, तब सदगुरु की सेवा प्रदान करते हैं। भजन तो कोई भी कर सकता है, लेकिन विशेष कृपा पात्र वही है, जिसको अपने गुरु जी की अंग सेवा प्राप्त हो। मानो श्री राम जी की सेवा प्राप्त हो गई। गुरु देव प्रसन्न हैं तो भगवान अनुकूल हैं। जिसने गुरुदेव की सेवा करके गुरुदेव को रिझा लिया, समझो भगवान उसके अधीन हो गए। चाहे जितना बड़ा अपराध बन गया हो, यदि हरि भजनों का, संतो का आश्रय ले लिया जाए तो सब छूट जाता है।




