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वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय विमानन उद्योग में सुधार के संकेत, आईसीआरए ने लगाया अनुमान

नई दिल्ली । रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारतीय नागरिक उड्डयन उद्योग पर अपना आउटलुक स्थिर बनाए रखा है। एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में घरेलू हवाई यात्री यातायात में चार से छह प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखने को मिल सकती है। जहां तक भारतीय विमानन कम्पनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्री यातायात वृद्धि का प्रश्न है, आईसीआरए का अनुमान है कि यह वृद्धि 2025-26 में 13 से 15 प्रतिशत के बीच रहेगी।
वहीं अप्रैल-अक्तूबर 2025 के दौरान घरेलू यात्री यातायात 944.5 लाख रहा। यह सालाना आधार पर 1.6 प्रतिशत की बढ़त दशार्ता है। आईसीआरए के अनुसार, इस वर्ष विमानन उद्योग की वृद्धि इससे अधिक हो सकती थी, लेकिन सीमापार तनाव के कारण उड़ान रद्द होने और व्यवधानों के साथ-साथ जून 2025 में हुई दुखद अक171 दुर्घटना ने यात्रियों में अस्थायी झिझक पैदा की, जिससे मांग पर असर पड़ा।
एजेंसी ने कहा कि ये कारक, अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न व्यापार बाधाओं के साथ मिलकर, आगामी तिमाहियों में व्यापारिक भावनाओं को कमजोर करेंगे। इसी प्रकार, आईसीआरए ने कहा है कि नवंबर 2025 में वायु यातायात नियंत्रण (एटीसी) से संबंधित व्यवधान, जिसके कारण उड़ानें रद्द होंगी, वृद्धि में एक अतिरिक्त (हालांकि कम) बाधा उत्पन्न करेगा।
आईसीआरए ने कहा कि एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमतों और भारतीय रुपये से डॉलर की विनिमय दर के साथ इसके जुड़ाव के कारण प्रतिफल की गति पर नजर रखी जा सकेगी, क्योंकि दोनों का एयरलाइनों की लागत संरचना पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024-25 में एटीएफ की औसत कीमतें 95,181 रुपये प्रति किलोलीटर रहीं, जो साल-दर-साल आधार पर 8.0 प्रतिशत कम है। इसके अलावा, 1 अप्रैल, 2025 से 1 नवंबर, 2025 तक एटीएफ की कीमतों में साल-दर-साल 6.5 प्रतिशत की कमी आई है। ईंधन लागत एयरलाइनों के परिचालन व्यय का 30-40 प्रतिशत है, जिसमें विमान पट्टे का भुगतान भी शामिल है।
आईसीआरए को उम्मीद है कि भारतीय विमानन उद्योग को 2025-26 में 95-105 अरब रुपये का शुद्ध घाटा होगा। बढ़ती विमान डिलीवरी की अवधि के बीच यात्री यातायात वृद्धि में मंदी के कारण मुख्य रूप से घाटा बढ़ना तय है। बहरहाल, अपेक्षित घाटा क्रमश: 2021-22 और 2022-23 में दर्ज 216 अरब रुपये और 179 अरब रुपये से काफी कम है।
आईसीआरए ने कहा कि हालांकि कुछ एयरलाइनों के पास पर्याप्त नकदी और/या मजबूत मूल कंपनियों से वित्तीय सहायता है, जो उनके क्रेडिट प्रोफाइल को सहारा दे रही है, वहीं अन्य एयरलाइनों के क्रेडिट मेट्रिक्स और नकदी प्रोफाइल हाल के वर्षों में कुछ सुधार के बावजूद दबाव में बने हुए हैं।

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