भारत का स्वच्छ ऊर्जा मिशन तेज, समय से पहले 50 फीसदी गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल

नई दिल्ली । नए विश्लेषण के अनुसार, भारत अगर अपनी 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य समय पर पूरा कर लेता है, तो देश कोयला बिलजी उत्सर्जन के शिखर पर पहुंच सकता है। उर्जा व स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (सीआरईए) की रिपोर्ट में दावा किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में चीन, भारत और इंडोनेशिया, जो कोयला आधारित ऊर्जा उत्पदान के सबसे बड़े बाजार हैं और पेरिस समझौते के बाद से वैश्विक कार्बन डाइआॅक्साइड उत्सर्जन के प्रमुख चालक बने हुए हैं। अगर ये तीन देश अपनी स्वच्छ ऊर्जा प्रगति बरकरार रखें, तो 2030 से पहले अपने पावर-सेक्टर उत्पादन के शिखर पर पहुंच सकते हैं। इन देशों की संयुक्त भागीदारी 2024 में वैश्विक कोयला खपत का 73 प्रतिशत होगी।
अध्ययन के अनुसार भारत की स्वच्छ बिजली उत्सर्जन में तेजी से वृद्धि हुई है। इसमें 2024 में रिकॉर्ड 29 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता और 2025 की पहली छमाही में 25 गीगावाट अधिक की वृद्धि हुई। देश ने 2030 की समयसीमा से काफी पहले ही 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर लिया है। वहीं तीव्र आर्थिक और जनसंख्या वृद्धि के साथ बिजली की मांग में भी वृद्धि जारी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की वार्षिक सौर मॉड्यूल क्षमता 2025 के मध्य तक 118 गीगावाट थी और 2028 तक 200 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा।




