
छठ पूजा सूर्य देव और छठ मैया की उपासना का महापर्व है। इस महापर्व की शुरूआत आज, 25 अक्टूबर से हो रही है। यह व्रत चार दिनों तक चलता है और इसमें पवित्रता, संयम और श्रद्धा का विशेष महत्व होता है। व्रत रखने वाली महिलाएं इस दौरान कठोर नियमों का पालन करती हैं। कहते हैं कि अगर व्रत के दौरान कोई गलती हो जाए, तो पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।
छठ पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां
1. अर्घ्य से पहले कुछ भी ग्रहण न करें
जो महिलाएं व्रत रखती हैं, उन्हें सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से पहले कुछ भी नहीं खाना या पीना चाहिए। ऐसा करना व्रत की पवित्रता को भंग करता है। व्रती को दिनभर व्रत रखते हुए जमीन पर ही सोना चाहिए, ताकि उनका शरीर और मन दोनों शुद्ध रहें।
2. धातु के बर्तनों का इस्तेमाल न करें
छठ पूजा में मिट्टी के बर्तन और चूल्हे का विशेष महत्व है। पूजा के दौरान किसी भी धातु जैसे स्टील, चांदी, पीतल या प्लास्टिक के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह नियम पवित्रता और पारंपरिक मान्यता से जुड़ा है।
3. प्रसाद को झूठा न करें
छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते समय कोई भी चीज या भोजन नहीं खाना चाहिए। प्रसाद बनने से पहले या बनाते समय कुछ भी ग्रहण करने से वह अशुद्ध माना जाता है और पूजा का फल नहीं मिलता।
4. साफ-सफाई का रखें पूरा ध्यान
छठ पूजा में स्वच्छता का बहुत महत्व है। व्रती को खुद को शुद्ध रखना चाहिए और आस-पास की जगह भी साफ रखनी चाहिए। पूजा से जुड़ी किसी भी चीज को छूने से पहले हाथ अच्छी तरह धोने चाहिए।
5. तामसिक भोजन से करें परहेज
पूरे व्रत के दौरान सात्विक भोजन ही लेना चाहिए। लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा या शराब जैसी तामसिक चीजों से पूरी तरह दूर रहना चाहिए। यह छठ मैया की पूजा की शुद्धता के लिए बहुत जरूरी है।
6. प्रसाद बनाने की जगह रखें साफ
घर में जिस स्थान पर आप छठ पूजा के लिए प्रसाद की तैयारी करें, उस जगह पर खाना न खाएं। साथ ही वह जगह हमेशा साफ-सुथरी रखनी चाहिए। श्रद्धा और अनुशासन से किया गया व्रत ही छठ मैया को प्रसन्न करता है।
7. अर्घ्य का समय न करें नजरअंदाज
सूर्य अर्घ्य देने का समय छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है। इसे चूकना या देर करना व्रत की पूर्णता को प्रभावित कर सकता है। अर्घ्य सूर्योदय और सूर्यास्त के सटीक समय पर ही देना चाहिए।
नियमों को हल्के में न लें
छठ पूजा में व्रती को पूरे मन और आस्था से नियमों का पालन करना चाहिए। किसी भी नियम को हल्के में लेना या लापरवाही करना व्रत की सार्थकता को कम कर देता है। व्रतियों को किसी के लिए अपशब्द नहीं निकालने चाहिए। छठ पूजा के दौरान शांत रहे और पूजा भी शांत चित्त होकर ही करें।




