पीयूष पांडे के निधन के बाद भावुक हुए प्रसून जोशी, कहा- उन्होंने मेरी जिंदगी को नई दिशा दी

नई दिल्ली। भारतीय विज्ञापन जगत के सबसे बड़े नामों में शुमार पीयूष पांडे अब हमारे बीच नहीं रहे। 70 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनकी सोचने की क्षमता और क्रिएटिविटी ने भारत में विज्ञापन की परिभाषा ही बदल दी। फेविकोल, कैडबरी डेयरी मिल्क और एशियन पेंट्स जैसे प्रतिष्ठित ब्रांडों के पीछे जो आवाज और विचार थे, वह पीयूष पांडे ही थे।
उनके निधन की खबर के बाद से ही सोशल मीडिया से लेकर एडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री तक शोक की लहर है। ऐड फिल्म मेकर प्रह्लाद कक्कड़ से लेकर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। अब, गीतकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने भी पीयूष पांडे को भावुक शब्दों में याद किया है।
प्रसून जोशी ने कहा कि पीयूष पांडे सिर्फ एक ऐड गुरु नहीं, बल्कि ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने उन्हें आत्मविश्वास दिया। उन्होंने कहा, ‘वह पहले इंसान थे जिन्होंने मुझे यह यकीन दिलाया कि एड वर्ल्ड में छोटे शहरों से आने वाले लोगों के लिए भी भरपूर जगह है।’ जोशी ने बताया कि एमबीए के दौरान जब वह इस पेशे को समझ रहे थे, तब पीयूष ने उन्हें दिखाया कि यह दुनिया कितनी मानवीय, संवेदनशील और जड़ों से जुड़ी हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनके साथ कई प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिला- चाहे वो कैडबरी का हो या एशियन पेंट्स का। उनके साथ बिताया हर पल एक सीख थी। उन्होंने हमेशा मुझे प्रेरित किया कि भाषा और भावना दोनों को जनता के करीब कैसे लाया जाए।’
प्रसून जोशी ने याद करते हुए कहा कि पीयूष जीवन से बेहद प्यार करते थे। वह हर छोटे पल में प्रेरणा ढूंढ़ लेते थे- चाहे परिवार के साथ हो, दोस्तों के बीच हो या अपने काम में। यही वजह थी कि उनके विज्ञापन सिर्फ उत्पाद नहीं बेचते थे, बल्कि दिलों को छू लेते थे।
उन्होंने आगे कहा, ‘वह हमें सिखा गए कि इंसान की सच्चाई, उसकी कमजोरियां और उसके रिश्ते- यही सबसे खूबसूरत कहानियां हैं। उनके हर ऐड में एक मुस्कान, एक भावना और एक जीवन दर्शन छिपा रहता था।’
प्रसून जोशी ने अंत में कहा कि वह पीयूष पांडे के विजन, उनके जुनून और उनकी हंसी को कभी नहीं भूल पाएंगे। ह्लउन्होंने हमें सिखाया कि जब तक आप अपनी भाषा, अपनी मिट्टी और अपने दिल से जुड़े रहेंगे, तब तक आपका काम हमेशा असली रहेगा।’ पीयूष पांडे का निधन भारतीय विज्ञापन उद्योग के लिए एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई शायद कभी न हो सके। उन्होंने भारतीय ब्रांडिंग को एक नई आत्मा दी- वो आत्मा जो भारतीयता से जुड़ी है और जो हर आम इंसान की कहानी कहती है।




