रिटायर रेलवे अधिकारी 7 दिन डिजिटल अरेस्ट, चीफ जस्टिस के नाम पर फर्जी कोर्ट में कराई पेशी, 28 लाख ट्रांसफर कराए

आगरा। आगरा में रेलवे से रिटायर अधिकारी को 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 28 लाख रुपए हड़प लिए। साइबर अपराधी ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का पीआरओ विजय कुमार बताया। उसने कहा कि मेरे आधार नंबर से मुंबई में एक मोबाइल सिम खरीदी गई है। उस सिम से अश्लील विज्ञापन और लोगों को ब्लैकमेल किया जा रहा है। बैंक में खाता खोलकर काले धन का लेन देन किया जा रहा है।
तुम्हारे मामले की सुनवाई जस्टिस बी.आर गवई की कोर्ट में वर्चुअल होगी। इसी तरह डराते हुए साइबर अपराधियों ने रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी को सात दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। डिजिटल अरेस्टिंग के दौरान पीड़ित ने अखबार में एक खबर पढ़ी, तब उन्हें अपने साथ ठगी का अंदाजा हुआ। पीड़ित की तहरीर पर साइबर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
बालूगंज स्थित मुरली मनोहर मंदिर के पास रहने वाले चिंतामणि शर्मा रेलवे से रिटायर्ड हैं। उन्होंने बताया- 25 सितंबर को उनके पास एक व्यक्ति की कॉल आई। काल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का पीआरओ विजय कुमार बताया। उसने कहा कि मेरे आधार नंबर से मुंबई में एक मोबाइल सिम खरीदी गई है। उस सिम से अश्लील विज्ञापन और लोगों को ब्लैकमेल किया जा रहा है।
इस मामले में मुंबई की क्राइम ब्रांच जांच कर रही है। वो पूछताछ करेगी। इसके बाद ही उनके पास कथित मुंबई पुलिस अधिकारी संदीप राव का फोन आया। उसने आॅनलाइन वीडियो कॉलिंग पोर्टल से जांच किए जाने की बोल कनेक्ट करवाया।
उसने कहा कि क्राइम ब्रांच आईपीएस विजय खन्ना जांच और पूछताछ करेंगे। फर्जी आईपीएस विजय खन्ना ने कहा- जेट एयरवेज के समन्यवक नरेश गोयल के साथ मनी लान्ड्रिंग के मामले में मेरा भी नाम है। उसने नरेश गोयल और अन्य आरोपियों के वीडियो, उनके नाम से जारी बैन डेबिट कार्ड और गिरफ्तार चार युवकों की तस्वीर दिखाई।
सारा सामान नरेश गोयल से बरामद होने की जानकारी दी। इसके बाद एक एफआईआर की कापी, गोपनीय अनुबंध सहमति पत्र और प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) से जारी फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजा। मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बताकर किसी से भी जानकारी साझा नहीं करने को कहा। किसी अन्य को शामिल करने पर उसका एनकाउंटर होने की धमकी दी।
आरोपियों ने आगे कहा- मामला इतना गंभीर है कि मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के समक्ष वीडियो काल से पेशी होगी। पीड़ित चिंतामणि की ओर से एक कथित वकील नवीन सिंह को प्रतिनिधि बनाकर बात कराई। कथित न्यायालय में सुनवाई के बाद सात दिनों के अंदर सारी संपत्ति के दस्तावेज और बैंक खातों में जमा रकम को प्रवर्तन निदेशालय के पास जांच के लिए जमा कराने का आदेश दिया गया। अगले दिन फर्जी आईपीएस विजय खन्ना ने दबाव बनाकर पेंशन खाते में जमा 18 लाख में से 17 लाख मुंबई के एक खाते में भेजने को कहा।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का आदेश और राजस्व विभाग की रसीद साझा कर एक नया आॅनलाइन वीडियो काल पोर्टल से डिजिटल अरेस्ट किए जाने की बात बताई। 17 लाख जमा करने के बाद पत्नी के खाते में जमा 11 लाख भी जमा कराने को कहा। दिए गए हैदराबाद के खाते में रकम भेजने के बाद पत्नी के दूसरे खाते की रकम भेजने को कहा पर छुट्टियों के कारण लेनदेन नहीं हो पाया।