ज्योतिष

धनतेरस के दिन इन 3 स्थानों पर जलाएं दीपक, मिलेंगे शुभ परिणाम

धनतेरस का पर्व इस साल 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। यह दीपोत्सव का पहला दिन होता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
इसलिए इंस दिन को स्वास्थ्य, समृद्धि और धन की प्राप्ति से जोड़ा गया है। इस अवसर पर लोग सोना-चांदी, पीतल और तांबे के बर्तन और नई चीजें खरीदते हैं। लेकिन सबसे खास परंपरा होती है दीप जलाने की, जो धन और सौभाग्य को आकर्षित करने वाली मानी गई है।
दक्षिण दिशा में यमराज का दीपक
धनतेरस की शाम को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके एक आटे के चौमुखी दीपक में सरसों का तेल डालकर जलाना चाहिए। यह दीपक यमराज के नाम से जलाया जाता है, जिसे ह्ययम दीपमह्ण कहा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दीपक से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और व्यक्ति को दीघार्यु का आशीर्वाद मिलता है। यह दीपक जीवन में सुरक्षा और शांति का प्रतीक माना जाता है।
पूजा स्थल पर लक्ष्मी-कुबेर का दीपक
धनतेरस के दिन शाम को पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी और कुबेर देव के सामने दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है। इसमें घी का दीपक जलाना सबसे उत्तम माना गया है। पूजा के दौरान कुबेर मंत्र का जाप करने से विशेष फल मिलता है। मंत्र इस प्रकार है- यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्य अधिपतये धनधान्य समृद्धि मे देहि दापय दापय स्वाहा।
इस दीपक से धन-संपत्ति में वृद्धि, कुबेर की कृपा और लक्ष्मी स्थायित्व प्राप्त होता है। यह घर में सुख-समृद्धि बनाए रखता है।
घर के मुख्य द्वार पर दीपक
धनतेरस की रात को घर के मुख्य द्वार या दरवाजे के बाहर दीपक जलाना भी अत्यंत जरूरी माना गया है। इस दीपक को दोनों ओर रखने से शुभ प्रभाव दोगुना हो जाता है। यह दीपक घर में पॉजिटिविटी का प्रवेश कराता है और नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है। वास्तु के अनुसार, यह दीपक घर की सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
ऐसी मान्यता है कि धनतेरस की शाम सच्चे मन और विधि-विधान से दीप जलाया जाए, तो घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का स्थायी वास होता है। दक्षिण दिशा का यम दीपक जीवन रक्षा देता है, पूजा स्थल का दीपक लक्ष्मी-कुबेर की कृपा लाता है और मुख्य द्वार का दीपक घर में पॉजिटिविटी लाता है।

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