चार दोस्तों को बचाकर खुद हमास के चंगुल में फंसे, अब इस्राइल को सौंपा गया इस हिंदू बंधक का शव

तेल अवीव । इस्राइल और हमास के बीच युद्धविराम के बाद अब बंदियों की अदला-बदली का दौर शुरू हो चुका है। हमास ने 20 जीवित बंदियों को रिहा किया। इसी के साथ दूसरी तरफ हमास की सशस्त्र शाखा अल-कसम ब्रिगेड्स ने 4 मृत इस्राइल बंधकों के नाम सार्वजनिक कर, उनके शव सौंप दिए हैं, जिनमें से एक हिंदू छात्र बिपिन जोशी का शव भी शामिल है, जिनकी मौत की पुष्टि कर दी गई है।
हमास ने अपहृत बंदी बिपिन जोशी का शव दो साल से ज्यादा समय के बाद इस्राइल को लौटा दिया गया है। 7 अक्टूबर 2023 के हमले के दौरान बिपिन जोशी को उनकी बहादुरी के लिए जाना जाता था। उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ उसके 4 दोस्तों को बचाया था।
बिपिन जोशी, जो कि नेपाली छात्र थे, हमास के हमले के समय 22 वर्ष के थे और गाजा सीमा के पास किबुत्ज अलुमिम में एक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए नेपाल से आए थे। माना जाता है कि वह गाजा में जीवित बचे एकमात्र गैर-इस्राइली और हिंदू बंधक थे। सोमवार देर रात हमास ने उनका शव इस्राइली अधिकारियों को सौंप दिया।
बिपिन जोशी की इस्राइली यात्रा सितंबर 2023 में शुरू हुई, जब वह गाजा सीमा के पास स्थित किबुत्ज अलुमिम समुदाय में कृषि अध्ययन और कार्य कार्यक्रम के लिए 16 अन्य छात्रों के साथ शामिल हुए। इस पहल के तहत नेपाली छात्रों को इस्राइली कृषि पद्धतियों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। 7 अक्टूबर की सुबह जब हमास के चरमपंथियों ने अचानक हमला किया, तो छात्रों ने एक बम बंकर में शरण ली।
टाइम्स आॅफ इस्राइल के अनुसार, जब अंदर ग्रेनेड फेंके गए, तो जोशी ने एक जिंदा ग्रेनेड उठाया और उसे फटने से पहले ही फेंक दिया, जिससे कई लोगों की जान बच गई। हमले में वह घायल हो गए और बाद में हमास के बंदूकधारी उन्हें पकड़कर गाजा ले गए। इसके बाद के इस्राइल सेना द्वारा जारी किए गए वीडियो फुटेज में जोशी को गाजा के शिफा अस्पताल में घसीटते हुए दिखाया गया, जो उन्हें जीवित देखने का आखिरी ज्ञात दृश्य था।
इस्राइल में नेपाल के राजदूत धन प्रसाद पंडित ने रिपब्लिका को इसकी पुष्टि की है। पंडित ने कहा, “बिपिन जोशी का शव हमास ने इस्राइल अधिकारियों को सौंप दिया है और उसे तेल अवीव ले जाया जा रहा है।” वहीं इस्राइल सैन्य प्रवक्ता एफी डेफ्रिन ने भी पुष्टि की कि हमास ने जोशी सहित चार बंधकों के शव लौटा दिए हैं। उनके अवशेषों को नेपाल वापस भेजने से पहले डीएनए परीक्षण किया जाएगा। नेपाली दूतावास के सहयोग से उनका अंतिम संस्कार इस्राइल में ही किए जाने की उम्मीद है।