करियर चुनते समय सिर्फ जुनून नहीं, बल्कि अपने कौशल और मूल्यों के आधार पर लें फैसला

हम सब चाहते हैं कि हमारा कॅरिअर ऐसा हो, जो हमें सच्ची खुशी और संतोष दे। ऐसे में, असली सवाल यह है कि हम कैसे जानें कि कौन-सा रास्ता हमारे लिए सही होगा? सच तो यह है कि कॅरिअर चुनना या फिर बीच में उसे बदलना अक्सर तनाव और अनिश्चितता से भरा अनुभव होता है।
बहुत से लोग आपको सलाह देंगे कि ‘अपने जुनून का पीछा करो’ या ‘जो पसंद है वही करो’, लेकिन हकीकत में यह बातें ज्यादा मददगार साबित नहीं होतीं। तो फिर प्रश्न यह उठता है कि अगर सिर्फ जुनून और खुशी ही कॅरिअर तय करने के लिए काफी नहीं हैं, तो फिर और क्या होना चाहिए? इसका जवाब है एक ऐसा कॅरिअर चुनना, जो आपके कौशल और मूल्यों से मेल खाता हो।
सबसे सही विकल्प की पहचान
अपने फोकस पॉइंट्स पहचानना ही आपके विकास की असली शुरूआत है। अक्सर लोग अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दो तरह से प्रेरित होते हैं। पहला, जब वे अपने लक्ष्यों को तरक्की, उपलब्धि और प्रमोशन पाने के मौके के रूप में देखते हैं।
दूसरा, जब वे अपने कॅरिअर को सुरक्षित बनाने, सही दिशा में और गलतियों से बचते हुए आगे बढ़ते हैं। अगर आप अपनी प्रेरणा की पहचान करके उसका मूल्यांकन कर लें, तो आसानी से समझ सकते हैं कि किस तरह के कॅरिअर या संगठन में कौन-सा पद आपके हिसाब से सबसे सही है।
सही नौकरी का चयन
अगर आपका ध्यान प्रमोशन पर है, तो आपको ऐसे कॅरिअर चुनने चाहिए, जो आपको तेजी से आगे बढ़ने के अवसर दें। इसके लिए उन क्षेत्रों में अवसर तलाशें, जहां हर दिन कुछ नया हो रहा हो-जैसे टेक्नोलॉजी या सोशल मीडिया। ऐसे क्षेत्रों में तेजी से बदलते ट्रेंड्स और नए अवसरों को पहचानने की क्षमता ही आपकी सबसे बड़ी ताकत बनती है।
वहीं, अगर आप एक स्थिर नौकरी चाहते हैं, तो आपके लिए ऐसी नौकरियां बेहतर होंगी, जो स्थायित्व और सुरक्षा का एहसास कराएं। इनमें बारीकियों पर ध्यान देना ही असली कौशल माना जाता है।
आंत्रप्रेन्योर बनने के लिए
हो सकता है आपके मन में यह सवाल भी उठे कि अगर मैं अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहूं, तो मुझे किस तरह की सोच अपनानी चाहिए? इसका जवाब यह है कि एक सफल आंत्रप्रेन्योर बनने के लिए आपके अंदर ऊपर बताए गए दोनों तरह के कौशल होने चाहिए।
अगर आप सिर्फ प्रमोशन पर ध्यान देंगे, तो हो सकता है आपका स्टार्टअप तेजी से चल पड़े, लेकिन मुश्किलों के लिए तैयार न होने की वजह से उसे लंबे समय तक संभालना मुश्किल हो जाएगा। वहीं, अगर आप सिर्फ स्थायित्व पर फोकस करेंगे, तो यह डर आपको जकड़ सकता है कि कहीं आपका बिजनेस शुरू ही न हो पाए। इसलिए, जब भी आप कोई नया स्टार्टअप शुरू करें, तो दोनों सोचों का सही संतुलन बनाए रखें, ताकि तरक्की और नए मौके छूटने न पाएं और आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भी खुद को तैयार रख सकें।